सड़क हादसे में घायल बुजूर्ग महिला के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद डाक्टरों ने नहीं दिया लाभ
दलाल के माध्यम से बाहर से दवा आदि लेने को कर रहे विवश
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, गोरखपुर (उप संपादक अरुण वर्मा)
यूपी सीएम सिटी गोरखपुर स्थित मेडिकल कालेज अव्यवस्था व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है। जहा एक तरफ शासन गरीब असहायों को लाभ देने के लिए पूरे प्रदेश में युद्ध स्तर पर आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए प्रयासरत है वही दूसरी तरफ आयुष्मान कार्ड धारक को उनके अधिकार से मेडिकल कालेज गोरखपुर वांछित करता दिख रहा है। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सभी को अपनी जेब या साड़ी के आँचल में आयुष्मान कार्ड रखना अनिवार्य है कि अचानक हुए किसी हादसे के समय पहले वे अपना आयुष्मान कार्ड दिखायेंगे और उसके बाद आपातकालीन सेवा का उन्हें लाभ मिल सकेगा ।
मामला है महराजगंज जनपद के भारत नेपाल की सीमा पर स्थित ग्राम सभा ठूठीबारी के टोला सडकहवा का दिनांक 4 मार्च दिन सोमवार की शाम का जब अखिलेश चौधरी अपने पुरे परिवार के साथ रामनगर स्थित अपनी बहन सरिता के यहाँ एक मांगलिक कार्यक्रम में सम्मलित होने के लिए जा रहे थे। अभी पूरा परिवार रामनगर गांव के मुख्य तिराहे पर पंहुचे ही हुए थे कि ई रिक्शा चालक की गलती के कारण अनियंत्रित होकर ई रिक्शा पलट गया जिसमे अखिलेश की माँ सोनकेशा और उनकी एक अन्य रिश्तेदार को गंभीर चोंटे आ गई। बुजुर्ग गरीब माँ का पैर का पंजा कट गया तो वही एक दूसरी रिश्तेदार का हाथ फ्रैक्चर हो गया। आनन फानन में उनका ठूठीबारी स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में प्राथमिक उपचार कर निचलौल सीएचसी ले जाया गया जहां से डाक्टर ने उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया हालत गंभीर देख जिला अस्पताल से भी उन्हें मेडिकल कालेज गोरखपुर रेफर कर दिया गया। सोनकेशा व उनकी रिश्तेदार का इलाज भी शुरू हो गया। उनकी रिश्तेदार बेहतर उपचार न होने के कारण वहां से डिस्चार्ज करा किसी अन्य अस्पताल में चली गई पर सोनकेशा अपनी लाचारी के कारण मेडिकल कालेज में ही इलाज कराना बेहतर समझा। उन्हें क्या पता था कि उनकी यह लाचारी दलालों के लिए सौगात बन जायेगी। डाक्टरों ने बाहर से दवा और आपरेशन के लिए कुछ संसाधन मंगाए जिसे एक दलाल साथ ले जाकर जो दवा सैकड़ो में मिलना चाहिए उसे करीब 2100 रूपये में दिलवाया। जबकि बुजुर्ग परिवार कहता रहा कि उनके पास आयुष्मान कार्ड है बेटा लेकर आ रहा है...खैर रात किसी तरह से बित गया और सुबह उनका बेटा आयुष्मान कार्ड लेकर मेडिकल पंहुचा और उनकी बहु पुष्पा ने डाक्टर को कार्ड सुपुर्द कर दिया लेकिन उसे वापस कर दिया गया । सोनकेशा का पहला परेशान सफल नहीं हुआ और उसे दुबारा आपरेशन वही कराना पड़ा, आपरेशन के बाद दिन शनिवार को उनकी छुट्टी भी कर दी गई.. पर हाय रे सिस्टम वाह रे मेडिकल प्रशासन महज 65 सौ रुपये के लिए गरीब बुजुर्ग महिला को मेडिकल कालेज में बंधक बना कर रखा गया है और हद तो तब हो गई जब उनका परिवार पैसा न होने की गुहार लगे तब डॉक्टरों ने जवाब दिया कि अभी ऑपरेशन में लगाया गया सामान निकाल बाहर कर दूंगा...अब यह हाल सीएम सिटी गोरखपुर की है तो और अस्पतालों का क्या हाल होगा यह आप खुद समझ लीजिये...?
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