पूर्वांचल राज ब्यूरो
महाराजगंज /घुघली
महराजगंज,अशूरा के दिन इमाम हुसैन और उनके साथी यजीद के जुल्मों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। अशूरा के दिन इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ही मुहर्रम की दस तारीख को कर्बला में मातम मनाया जाता है। इराक की राजधानी बगदाद से 100 किलो मीटर दूर उत्तर-पूर्व में एक छोटा सा कस्बा है कर्बला, जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों को शहीद कर दिया गया था।इमाम हुसैन कर्बला में शहीद हुए थे उन्हीं की याद में दुनिया में हर शहर में कर्बला नाम की जगह मौजूद है। मुहर्रम की दसवी तारीख को कर्बला में ही ताजीयों को दफनाया जाता है। यजीद ने मुहर्रम की दसवी तारीख को इमाम हुसैन और उनके साथियों को बड़ी बेरहमी से शहीद कर दिया था। यजीद के जुल्मों को याद करते हुए ही इस दिन सारी दुनिया के मुसलमान शोक में डूबे रहते हैं।
इस दिन सुन्नी समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं। कहा जाता है कि इस दिन कई लोग रोजा रखते हैं, तो कई लोग नहीं रखते हैं। मुहर्रम को लेकर शिया और सुन्नी दोनों ही समुदाय की अलग-अलग मान्यताएं है। जहां सुन्नी समुदाय के लोग 9 और 10वीं तारीख को रोज़ा रखते हैं, तो वहीं शिया समुदाय के लोग 1 से 9 तारीख के बीच में रोज़ा रखते हैं। इसके बाद 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा के दिन रोज़ा नहीं रखते हैं, क्योंकि इसे हराम माना जाता है। इस दिन ये लोग मातम मनाते हैं।
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