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किसान धान की फसल में खर पतवार को नियंत्रण कैसे करे

 


पूर्वांचल राज्य ब्यूरो

महाराजगंज /घुघली

पल्टू मिश्रा

महराजगंज,धान की खेती में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए कई तरीके हैं, जिनमें रासायनिक और गैर-रासायनिक दोनों विधियाँ शामिल हैं। 

रासायनिक नियंत्रण खरपतवारनाशकों का प्रयोग:

धान की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न प्रकार के खरपतवारनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

बुवाई या रोपाई के 0-3 दिनों के भीतर प्रेटीलाक्लोर 750 ग्राम/हेक्टेयर का छिड़काव किया जा सकता है।

चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के लिए, पाइराजोसल्फ्यूरॉन 25 ग्राम/हेक्टेयर का 0-5 दिनों के भीतर या 8-10 दिनों के बाद छिड़काव किया जा सकता है।

संकीर्ण पत्ती वाले खरपतवारों के लिए, फिनोक्साप्रोप पी इथाइल 60-70 ग्राम/हेक्टेयर का 25-30 दिनों के बाद छिड़काव किया जा सकता है।

बिसपाईरिबेक-सोडियम 25 ग्राम/हेक्टेयर का 15-20 दिनों के बाद छिड़काव किया जा सकता है।

विशिष्ट खरपतवारनाशकों का प्रयोग:

संकरी पत्ती, चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के लिए, बेनसल्फ्यूरॉन + प्रेटिलाक्लोर 660 ग्राम/हेक्टेयर का 0-3 दिनों के भीतर छिड़काव किया जा सकता है। 

गैर-रासायनिक नियंत्रण:

रबी की फसल के बाद गहरी जुताई करने से खरपतवारों के बीज और जड़ें ऊपर आ जाती हैं और तेज धूप में जलकर नष्ट हो जाती हैं।

रोपाई के 20 दिन बाद हाथों से निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकाला जा सकता है।

बड़े क्षेत्रों में खुरपी, पैडी वीडर या कोनोवीडर जैसे यंत्रों का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।

उच्च गुणवत्ता वाले बीज, अच्छी खाद, और सिंचाई नालियों की सफाई करके भी खरपतवारों को पनपने से रोका जा सकता है। 

खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए खेत में उचित जल प्रबंधन आवश्यक है। 

खरपतवारनाशकों का प्रयोग करते समय, लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। 

रासायनिक और गैर-रासायनिक विधियों का संयोजन करके खरपतवारों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।

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