हरमैन शरीफैन की अज़मत पर रोशनी डालती ज़ियारत-ए-हरमैन शरीफैन कॉन्फ्रेंस का शानदार आयोजन
ज़िला संवाददाता शबलू खा
पीलीभीत, शेरपुर कलां बरकाती अकैडमी की जानिब से एक शानदार ज़ियारत-ए-हरमैन शरीफैन कॉन्फ्रेंस" का आयोजन किया गया। यह मुबारक महफिल मुफ़्ती मोहम्मद हामिद रज़ा बरकाती, उनकी वालिदा और बहन की उमराह यात्रा की रवानगी के मौके पर रखी गई थी। इस सभा की सदारत मुफ़्ती मंज़ूर आलम रज़वी (शैख़ुल हदीस, दारुल उलूम ग़ौसिया) ने की, जबकि दिल्ली से तशरीफ लाए मशहूर आलिम-ए-दीन मुफ़्ती तस्लीम रज़ा खान ने इसमें खास शिरकत की। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हरमैन शरीफैन (मक्का-मदीना) की फज़ीलत, वहां की हाजिरी की अहमियत और इस मुबारक सफर की बरकतों पर रौशनी डालना था।महफिल का आगाज़ तिलावत-ए-क़ुरान और नात-ए-पाक से हुआ। इसके बाद मुफ़्ती मंज़ूर आलम रज़वी ने अपने बयान में हरम शरीफ की अज़मत और वहां की हाजिरी की अहमियत पर रोशनी डालते हुए फरमाया कि दुनिया में बहुत से मुक़द्दस मक़ामात हैं, लेकिन हरम शरीफ और मदीने शरीफ की फज़ीलत सबसे आला और बेमिसाल है।" इसके बाद मुफ़्ती तस्लीम रज़ा खान ने अपने बयान में कहा कि हरम शरीफ की हाजिरी अल्लाह तआला का एक अज़ीम इनाम है। जब कोई वहां जाता है, तो उसे चाहिए कि वह अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे, तवाफ करे, नमाज़ें अदा करे और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे। उन्होंने खासतौर पर ताकीद की कि मुफ़्ती हामिद रज़ा बरकाती इस मुबारक सफर में मुल्क, मिल्लत और तमाम उम्मत-ए-मुस्लिमा के लिए दुआ करें। इस मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने मुफ़्ती मोहम्मद हामिद रज़ा बरकाती की दीनी और तालीमी खिदमात को सराहा। वक्ताओं ने कहा कि बरकाती अकैडमी के तहत उन्होंने जिस तरह से इल्म और तर्बियत के मैदान में नई रोशनी फैलाई है, वह काबिले-तारीफ है। उन्होंने न केवल बच्चों की तालीम बल्कि समाज में इस्लामी तालीमात के प्रचार-प्रसार में भी अहम भूमिका निभाई है। महफिल के आखिर में मुफ़्ती मंज़ूर आलम रज़वी ने खास दुआ करवाई, जिसमें बड़ी तादाद में मौजूद उलेमा-ए-किराम, मशाइख, तलबा और अकीदतमंदों ने मुफ़्ती हामिद रज़ा बरकाती, उनकी वालिदा और बहन के सफर की सलामती और कबूलियत के लिए दुआ की।इसके बाद हज और उमराह पर जाने वाले शेरपुर कलां और पूरनपुर के जायरीन को मौलाना शाने रज़ा खान (ग़ौसिया हज टूर ट्रेवल्स) की जानिब से गुलपोशी कर मुबारकबाद पेश की गई।
इस मौके पर मौलाना साजिद रज़ा खान, हाफिज शाहिद रज़ा, हाफिज मोहम्मद आसिफ, हाजी रियाजत, नूर खान, पूर्व प्रधान जावेद खान, हाजी असलम कुरैशी, हाजी नदीम, हाजी फैयाज अहमद, अकरम कुरैशी, यूसुफ़ कुरैशी, लल्ला लाइट वाले, यामीन कुरैशी, हसीब कुरैशी एडवोकेट सहित कस्बे के तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस का समापन दरूद-ओ-सलाम और अल्लाह की बारगाह में इबादत की कुबूलियत की दुआ के साथ हुआ।
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