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पीलीभीत में जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पति ने सरकारी खजाने को बनाया लूट का अड्डा


पूर्वांचल राज्य समाचार


पीलीभीत: पीलीभीत में जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पति पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा हैं। सरकारी धन की खुली लूट कर निजी संपत्तियां खड़ी करने वाले इन जनप्रतिनिधियों ने सत्ता का ऐसा नंगा नाच किया कि पूरा जिला सकते में है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि शासन स्तर की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं, जिससे साफ होता है कि जिला पंचायत को इन्होंने अपनी निजी संपत्ति समझकर मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया। आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पति ने पंचायत निधि का खुला दुरुपयोग किया। इस बाबत शिकायतकर्ता का आरोप है कि इन्होंने अपने गांव कुंवरपुर की निजी कृषि भूमि (गाटा संख्या 47, 48, 49, 50, 51) पर 26.92 लाख रुपये की लागत से नाली निर्माण करवाया लेकिन यह निर्माण पूरी तरह अवैध था, क्योंकि जिला पंचायत के पैसे से निजी संपत्ति पर कोई निर्माण नहीं हो सकता। इतना ही नहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष के पति ने अपने निजी विद्यालय स्वामी एजुकेशनल के निजी रास्ते पर 150 मीटर का आरसीसी निर्माण करवाया, जिसकी लागत 17.14 लाख रुपये बताई जा रही है। यानी, जनता के टैक्स का पैसा इनकी निजी संपत्तियों को चमकाने में खर्च कर दिया गया। भ्रष्टाचार की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के पति ने एक स्कॉर्पियो गाड़ी खरीदी और उसे अपने सगे भाई के नाम करवा दिया। यही नहीं, आरोप है कि इस गाड़ी को जिला पंचायत में किराए पर लगाकर सरकारी खाते से 23 लाख रुपये भाई के खाते में ट्रांसफर करवा दिए। जिससे यह साफ दर्शाता है कि किस तरह से इन लोगों ने सत्ता की आड़ में सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पिछले डेढ़ साल में जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पति ने जिला पंचायत के पैसे को लूट-लूटकर अपनी बेनामी संपत्तियों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। सरकारी धन से ये करोड़ों रुपये की संपत्तियां खरीदते गए और जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी तिजोरी में भरते गए। शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्होंने ग्राम कुंवरपुर, अभयपुर, माधोपुर सीमा पर 12 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। पूरनपुर बडा हाईवे पर 2 एकड़ जमीन (नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष से 2 करोड़ रुपये में खरीदी) अग्रवाल राइस मिल, पूरनपुर बडा हाईवे पर 5 करोड़ रुपये में खरीदी।लखनऊ के अलीगंज में 80 लाख रुपये का फ्लैट खरीदा। भाजपा जिला महामंत्री की कॉलोनी में 40 लाख रुपये का प्लॉट खरीदा। इसके अलावा, सूत्रों की माने तो इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों की जमीन भी गिरवी रखकर लाखों रुपये हड़प लिए। ये सारी संपत्तियां सरकारी पैसे की लूट से खरीदी गई हैं, जो सीधे-सीधे जनता के साथ धोखा है। जब इस भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगीं और शासन स्तर पर 4 फरवरी 2025 को जांच शुरू हुई, तो जिला पंचायत अध्यक्ष व उनके पति घबरा गए। उत्तर प्रदेश शासनादेश स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी जिला पंचायत अध्यक्ष निजी लाभ नहीं उठा सकता, लेकिन पीलीभीत में जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके पति ने इस नियम की सरेआम धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने जिला पंचायत को लूट का अड्डा बना डाला और सरकार की आँखों में धूल झोंकते हुए करोड़ों रुपये अपनी तिजोरी में भर लिए। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस घोटालेबाज जोड़े पर कोई कड़ी कार्रवाई करेगी या फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? जनता के पैसों को लूटने वाले इन भ्रष्टाचारियों पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन अगर न्याय व्यवस्था निष्पक्ष है, तो जल्द ही इन पर शिकंजा कसना चाहिए। जनता को भी अब जागरूक होकर सवाल उठाने होंगे – क्या जिला पंचायत का पैसा इसी तरह लुटता रहेगा? क्या भ्रष्टाचारियों को खुली छूट दी जाएगी? या फिर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाएगा? जवाब आना बाकी है!

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