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लोक आस्था पर आधारित है छठ महापर्व


पूर्वांचल राज्य समाचार 


पूर्वी उत्तर प्रदेश ब्यूरो प्रभारी फणींद्र कुमार मिश्र


धार्मिक मान्यताओं,लोक आस्था व पुराणों के अनुसार दीपावली के छह दिन बाद आने वाला छठ पूजा का त्योहार सभी व्रती महिलाएं व कुछ पुरुष धूमधाम से मनाते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक यह पूजा मनाई जाती है। छठ पूजा सूर्यदेव व माता छठ का सम्मान करने वाला पवित्र त्योहार माना जाता है।इस त्योहार में ठेकुआ प्रसाद का खास महत्व होता है। बिना अन्न, जल वाले इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान के उज्जवल भविष्य की कामना का वर छठ माता से मांगती हैं। इस त्योहार में दान के कार्य भी किया जाता है।

इस त्योहार को सूर्य षष्ठी, छठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि गुरुवार 7 नवंबर 2024 की रात 12:41 बजे शुरू होगी और इसका समापन शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 की रात 12:34 बजे होगा। ऐसे में 7 नवंबर के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाएगा। 


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ महापर्व का खरना किया जाता है। यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और छठी मैया की पूजा में लीन रहती हैं। इसके बाद शाम को प्रसाद बनाने और ग्रहण की परंपरा है। इस साल खरना बुधवार, 6 नवंबर 2024 को है। 

गुरुवार, 7 नवंबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की विधान है. वहीं अगली सुबह शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाएगी। कुछ स्थानों पर छठ माता की प्रतिमा पांडालों में स्थापित कर विधि विधान से पूजन अर्चन भी किया जाता है। माता की प्रतिमा का विसर्जन भी धूमधाम से किया जाता है। इसको लेकर नगर में काफी हर्षोल्लास देखने को मिलता है।

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