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कहां लिखा है कि विधायक के परिचित, वीडीए के अधिकारी से तालमेल हैं तो भवन निर्माण होगा..! नहीं या तो सीज होगा या दौड़ लगाना होगा

गरीब होना अभिशाप और परिचय ना होना कलंक सा हो गया है 


पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, वाराणसी (संपादक✍🏻 कृष्णा पंडित की कलम से)



शासन की मनसा जो भी रही हो लेकिन जिले में बैठे अधिकारी जब तक अपनी धन उगाही जैसे मंसूबे पर लगाम नहीं लगाते तब तक शासन को भ्रष्टाचार पर नकेल की अध्याय में सफलता मिलना मुमकिन हीं नहीं नामुमकिन है !

विभागीय अधिकारियों का सतापोश नेताओं से गांठ जोड़ की कोई नई कहानी नहीं, बल्कि परंपरा बहुत पुरानी है जिसको ज्यादातर नेता द्वारा निभाई जा रही है और अधिकारी नेताजी की आव भगत के साथ अपने जेब भी बखूबी गर्म कर रहे हैं !



वाराणसी मोदी जी के संसदीय क्षेत्र है जहां भ्रष्टाचार के लिए तो रोज नई कब आया हुआ नीतियों का संचार होता है !

समय-समय पर नकेल भी कई जाती है कुछ चिन्हित जगह और लोगों का धवस्तीकरण भी किया जाता है लेकिन यह किसी कानून के किताब में नहीं लिखा कि जनसामान्य के साथ कानून का कठोर प्रयोग कर अनुपालन कराया जाए !

वाराणसी के किसी भी इलाके में आप एक बार चिन्हित कर काउंटिंग कर लीजिए और देखिए कि ज्यादातर अवैध अतिक्रमण किनके द्वारा सजाया गया है कौन है भू स्वामी और अतिक्रमणकारी, निश्चित तौर पर आंखें  चौंधिया जाएगी कोई और नहीं बल्कि शासन और सता का रसूख रखने वाले चाहे पिछली सरकार हो या वर्तमान की उन्हीं की सरपरस्ती में यह फल फूल रहा है बाकी अधिकारी तो निश्चित तौर पर अपनी ड्यूटी बजाते रहते हैं !

यदि आप वाराणसी आते हैं तो यहां कई तरीके का अतिक्रमण आपको देखने को मिलता है चाहे रोड का कब्जे का हो मामला या अवैध तरीके से निर्मित भवन जिनका कोई मानक नहीं !


खबरों में बने रहने के लिए अधिकारियों द्वारा निश्चित तौर पर फोटो सेशन और मीडिया स्पेस के लिए जद्दोजहद की जाती है !

ऐसा नहीं की किसी अधिकारी को या मालूम नहीं की कितने अतिक्रमण हो रहे हैं और कितने नवनिर्माण में धांधलीय चल रही है लेकिन कार्रवाई सिर्फ सीमित है यह अशोभनीय ही नहीं बल्कि जनसाधारण के लिए उनके पीठ पर कुल्हाड़ी से वार है !


ज्यादातर देखा जाता है कि जब नवनिर्माण किया जाता है तो लोग तालमेल बैठाने के लिए उच्च अधिकारियों से नेताओं की ओर रुख करते हैं या फिर किसी ने किसी प्रशासनिक पकड़ से अपना काम करवाते हैं नहीं तो फिर मोटी रकम के साथ सब तैयार है और फिर काम पूरा हो जाता है !

यदि सचमुच में भ्रष्टाचार पर नकेल कसना है तो ईमानदारी से सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिए जिस तरीके से देश में सरकारी एजेंसीज कानून लागू कराने के लिए व सरकार द्वारा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में जुटी है उसी तरीके से भ्रष्टाचार भी चाहे जिसके द्वारा किया जाए कार्रवाई सुनिश्चित किया जाना चाहिए !

वर्तमान के उच्च क्षेत्रीय अधिकारी भी जिम्मेदार है जिसके दौरान यह अतिक्रमण अवैध कब्जा किया गया निश्चित तौर पर उसके ऊपर भी मुकदमा किया जाना चाहिए और उसकी सैलरी भी रोक देनी चाहिए यही नहीं सानिध्य में घूम रहे सफेद पोश नेताओं के ऊपर भी नकेल कसना बहुत जरूरी है !


यदि सही में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है तो किसी एक वार्ड चिन्हित कर सिर्फ सिगरा या किसी अन्य इलाका में ही ड्रोन से सारी भवन को देखा जाए और फिर जिम्मेदार हुक्मूरान को उनसे उनकी जवाबदेही तय की जाए फिर देखिए कितनी खलबली मचेगी !

सैकड़ों नहीं हजारों ऐसे मकान है जो रोज सरकार के भ्रष्टाचार रूपी लगाम का माखौल उड़ा रहे हैं और अधिकारियों के कारनामे बता रहे हैं !देखने वाली नजर चाहिए दिखाने वाले तो सिर्फ वही दिखाते हैं जिससे सरकार खुश और सब ठीक-ठाक है के तौर पर चल रही है !


आम जनमानस द्वारा दिए गए आवेदन का भी खस्ता हाल है यदि आप भूल कर विकास प्राधिकरण या संबंधित अधिकारियों से कोई कंप्लेंट करते हैं तो कब निपटारा हो जाएगा कब तालमेल बैठ जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा बाकी रिपोर्ट लग चुकी है जैसे जवाब देकर अधिकारी अपना मुंह मोड़ लेता है !

कब तक फलते-फूलते रहेंगे भ्रष्टाचारी चाहे शासन में बैठे हो या कुर्सी पर जिसकी मंशा वसूली की हो उसको जवाब देना ही होगा !


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