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खानपान में लापरवाही, अनियमितता और अज्ञानता से महिलाओं में हो रही खून की कमी



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, महराजगंज (ब्यूरो प्रभारी योगेश्वर राय)

महराजगंज। कहा गया है सही जीवन के लिए सही खानपान जरूरी होता है हाल ही में महिलाओं के लापरवाही से गर्भवती महिलाओं में खून की कमी हो रही है। ओपीडी में जांच के लिए आने वाली चार से पांच गर्भवती में खून की कमी मिल रही है। डॉक्टर उन्हें दवा के साथ संतुलित भोजन की सलाह दे रहे हैं ।

महिला अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योत्सना ओझा ने बताया कि हर महिला गर्भावस्था के दौरान कई शारीरिक व मानसिक परिवर्तन से गुजरती है। इस स्थिति में गर्भवतियों में खून की कमी की शिकायत ज्यादा होती है। इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही गर्भवती व उसके होने वाले शिशु दोनों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। इससे कम होने पर एनीमिया (खून की कमी) पीड़ित माना जाता है। विटामिन-12 वाले भोजन जैसे मीट, अंडा और दूध के अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां मछली, पालक का साग, साबुत अनाज, मसूर की दाल, फल आदि का सेवन करना चाहिए। विटामिन-सी की भी पर्याप्त मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है।

जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण में यदि महिला को कोई बीमारी हो जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटिक पूर्व में ऑपरेशन से डिलीवरी हो चुकी है या एनीमिया आदि हो तो ऐसी महिलाओं को एचआरपी (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) श्रेणी में रखा जाता है। ऐसी महिलाओं का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है तथा डिलीवरी होने तक स्वास्थ्य कर्मी महिला के संपर्क में रहते हैं।

डॉक्टरों का मानना है कि गर्भवती होने के बाद महिला का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। खासकर खान पान अच्छा रखना है। यदि खानपान सही नहीं है और महिला को समय पर पौष्टिक आहार नहीं दिया जाता है या तो उसका हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और वह एनीमिया की शिकार हो जाती है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योत्सना ओझा का कहना है कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी में शामिल महिलाओं को हर हाल में अपना ख्याल रखना चाहिए। शुद्ध और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। साथ ही डिलीवरी होने तक समय-समय पर अस्पताल में अपनी जांच कराते रहना चाहिए। अस्पताल में जांच निशुल्क है। इसके साथ ही डिलीवरी अस्पताल में ही कराई जानी चाहिए।

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