पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, बलिया (ब्यूरो प्रभारी राजीव शंकर चतुर्वेदी की रिपोर्ट)
गाजीपुर। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलना भारतीय संसदीय राजनीति की विकास यात्रा का सम्मान है, जिसमें उन्होंने चार दशक तक भारतीय राजनीति में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई है। भारतीय राजनीति में सबसे अधिक समय तक सक्रिय लोगों में से एक नाम आडवाणी का है। आडवाणी बाल स्वयंसेवक के रूप में 14 साल की उम्र में सन् 1941 में संघ से जुड़े और कुछ और प्रौढ़ होने पर वह संघ के प्रचारक बन कर तपस्वी जीवन का निर्वाहन भी किया। सन् 1951 में भारतीय जनसंघ के निर्माण के साथ ही वह भारतीय जनसंघ से जुड़ गए और इस पार्टी के सभी प्रकार के यात्राओं के साक्षी बनें। जब यह पार्टी एक विचार के रूप में कागज पर उतरी तब भी आडवाणी उपस्थित थे और आज जब यह पार्टी एक ऐसी स्थिति में है कि यह लगभग अगले पाँच दशक तक बिना किसी प्रश्नवाचक चिन्ह के भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान बनाये रखेगी और राज करेगी तब भी वह उपस्थित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय तक की प्रतिक्षा की जब तक कि इस रामरथी द्वारा तय किया गया भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण जाये तभी इसकी घोषणा की जाय। आडवाणी अपने आप में भारतीय राजनीति के एक युग हैं। भारतरत्न मिलने पर उनको बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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