जुआ, गांजा तस्करी, ट्रैफिकिंग पर यदि नियंत्रण नहीं तो जिम्मेदार कौन...?
कृष्णा पंडित की ✍🏻 कलम से...
ई कैसी पुलिस है कौन सी राह पर चल पड़ी...
मनचाहे धन लाभ के लिए ना जाने कौन-कौन सी जुगत लगा कर कुछ पुलिस वाले वर्दी को शर्मसार कर रहे हैं यह घटना किसी एक जिले की नहीं है यूपी के अन्यत्र कई जिलों में लगातार देखने को मिल रहा है की पुलिस दिशाविहीन अपने कार्यों से विमुख हो चुकी है ! पुलिस डायरी से कोसों दूर और अपने मानक को ताक पर रखकर पुलिस की कार्यशैली बेहद शर्मनाक और दुखद है यदि ऐसा ही चलता रहा तो निश्चित तौर पर आम जनता इनके द्वारा पीसने की मशीन बनकर त्राहिमाम त्राहिमाम कर इनकी सुरक्षा कवच से मुक्ति पाना चाहेगा !
लगातार इनकी नियति , कार्यशैली आम जनमानस को प्रताड़ित और गुमराह कर वसूली का सामने आ रहा है !
निर्दोषों को जेल भेजकर जमीन कब्जाने का मामला बेशकीमती जमीन पर कब्जा कराने को लेकर खुलने लगी परतें पुलिस की गुंडई उजागर होते ही मचा हडकंप
पत्रकार वार्ता में पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण से पुलिस की इमेज को ठेस पहुंची है। इस तरह के जो भी अवांछनीय तत्व विभाग में हैं या विभागीय कर्मियों से मिले हुए हैं, उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इसलिए मुकदमा दर्ज कर विभागीय जांच हो रही है, ऐसे लोगों के खिरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आइए कुछ तथ्यात्मक और आपके आसपास घट रही घटनाओं का विवरण प्रस्तुत है....
थाने में घूसखोरी चरम पर....?
जिला कोई भी हो थाने में बैठा दरोगा पैरवी और रियायत के नाम पर धनउगाही का अमलीजामा पहना रहा है पहले तो विवेचना के नाम पर मनमानी पैसे ऐठने की चलन शुरुआत हुई धीरे धीरे कर अवैधानिक और सामाजिक गलत कार्यों को बढ़ावा व संरक्षण देने के लिए भी अब वसूली जोरों पर है !
पूर्व के दिनों में चंदौली की थाने में बाउंड्री वॉल निर्मित कराने को लेकर थाना प्रभारी द्वारा घूस लेते हुए वीडियो वायरल इनकी करतूत की पोल खोल रहा है वही कानपुर बर्रा थाना क्षेत्र की घटना वर्दी के शर्मसार करने वाली है !जब गांजा तस्कर बेचने की सूचना एक भाजपा कार्यकर्ता ने पुलिस को दी तो कार्रवाई करने की बजाय पुलिस उसी को धौंस जमाते हुए पुलिसिया कानून सिखाने लगे जब युवा मोर्चा के पदाधिकारी थाने पर पहुंचे तो पुलिस ने युवा नेता को ही कई थप्पड़ जड़ दिए इसके बाद तो जब थाने का सैकड़ों बीजेपी युवा कर्ताओं द्वारा घेराव हुआ तो आला अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे ! युवा नेता ने बताया कि किस तरीके से गांजा तस्करी जुआ और अनैतिक धंधे से लाखों की महीने की वसूली थाने द्वारा की जाती है फिर तुरंत आनन-फानन में थप्पड़ जड़ने वाले दरोगा को लाइन हाजिर किया गया !
ई कैसी पुलिसिंग है, क्या आला अधिकारी मिलावट में शामिल हैं या अनभिज्ञ...?
वाराणसी के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में गांजा तस्करी ऑनलाइन जुआ और चोरी ,छीनौती जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने में असफल वाराणसी पुलिस अब वसूली में मस्त है वसूली के कई माध्यम बनाकर पॉकेट गर्म किया जा रहा है ! इन दिनों ऑनलाइन जुआ का खेल बनारस के गली गली मोहल्ले में अपना पांव पसार लंबी कतार लगाकर युवाओं द्वारा खेली जा रही है !स्थानीय पुलिस को सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती क्योंकि मोटी रकम की वसूली की जा रही है ! विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि शाम होते ही जुआ संचालक खुद ही साहब से लेन देन करता है और ऐसे दर्जनों जुआ का अड्डा अलग अलग थाना क्षेत्रों में संचालित हो रहा है अब आप अंदाजा लगा लीजिए की कितनी बड़ी रकम की वसूली की जा रही है !
बनारस में बड़ी पैमाने पर गांजा की बिक्री होता है क्या अधिकारी अनजान हैं या माल बटोरने में परेशान है..?
पुलिस के करीबी मुखबिर हो क्यों रहे गायब....?
मुखबिर गायब होने का सिर्फ एक कारण है की कलम के सौदागरों ने अपनी जमीर बेचकर एक सौदा कर लिया और खुद को आर्थिक मजबूती देने के लिए कलम को बेच दिया फिर ज्यादातर घटतौली मामले में दखलअंदाजी कर कमाने में जुट गए ! यही नहीं कई वरिष्ठ पत्रकार तो सिर्फ पुलिसिया सूचना तंत्र और सूचना माध्यम बनकर जी हजूरी में अपनी दिनचर्या गुजार रहे हैं !
ना फर्ज का कर्ज चुका सके ना हीं वफादार रहे.....
पुलिस को सूचना देने का कार्य कलमकार ही करने लगा धीरे धीरे कर मुखबिर की जगह लेने लगा जैसे पुलिस का मुखबिर बहुत महत्वपूर्ण रोल अपनाते हुए अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने में मददगार साबित होता था ! आज वह जगह पतलकार नामक संदिग्ध व्यक्ति ले चुका है !
जिसकी बदनीयती से ना वह मुखबिरी का ही पूर्ण कार्य कर पा रहा है ना अपना फर्ज निभा पा रहा है फर्ज से बेवफाई कर पुलिस को भी गुमराह कर रहा है ! ऐसे ही धीरे-धीरे मुखबीर पुलिसिया तंत्र से गायब होते गए और आज पुलिस छोटे से छोटे चोरी की घटना खोलने व अपराधिक नियंत्रण पर असफल हो रही है ! कई मामले में पुलिसिया खेल का पोल खुल रहा है जो खुद ही षड्यंत्र कर लोगों को फंसा रही है और तो और अवैध कब्जा और अतिक्रमण पर भी अपना हक जमा रही है !
ज्यादातर खुलासे भी फर्जी हो रहे हैं....
क्या आप यह सोच सकते हैं कि जो अखबार में पढ़ते हैं जो चैनल में देखते हैं वह भी गलत और झूठा होगा जी हां नहीं लेकिन जब अंदर की बातों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि बनावटीपन् ने वह जगह ले लिया है कई मामले में पुलिस की खुलासे का मजाक बन चुकी है एनकाउंटर पर कोर्ट उंगलियां उठा चुका है कई सारे लूट के मुकदमे पुलिस पर प्रचलित है ! आज चौकी ,थाना वरिष्ठ पुलिस कार्यालय के इर्द गिर्द संदिग्ध और दलालों का आना-जाना बखूबी आव भगत से किया जाता है !अब आप सोचिए यदि आपकी गुम हुई बाइसिकल और छीनैती की गई सामान की सुरक्षा और खोज निकालने की जिम्मेदारी जिन पुलिसवालों की कंधे पर थी ऐसे लोग जो समाज में गंध फैलाने के लिए जाने जाते हैं उनका उठना बैठना चौकी थानों पर होगा तो निश्चित रूप से अपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाना नामुमकिन होगा यही नहीं गैंगस्टर संबंधित लोगों का तालमेल पुलिस के आल्हा अधिकारियों से बहुत ही दुखद है और तो और सूत्र बताते हैं कि गांजा से लेकर ट्रैफिकिंग का जितने भी सरगना हैं वह भी इनके रहमों करम पर पाल रहे हैं !
कमाई का जरिया...?
प्रथम क्रम में विवेचना द्वितीय क्रम में अनैतिक कार्यों में संरक्षण और मनमानी तौर पर पुलिसिया कार्रवाई से बड़ी वसूली का माध्यम है ! जहां नेताओं द्वारा संभ्रांत सम्मानित लोगों द्वारा मामले में दखलअंदाजी कर शुद्ध और सही कार्यों के लिए दबाव बनाया जाता था आज वही उल्टा हो गया है ! सम्मानित लोग थाना चौकी या बड़े अधिकारियों तक जाना भी अब पसंद नहीं करते ! ज्यादातर बड़े ओहदे पर बैठे पुलिस वाले सम्मानित संभ्रांत लोगों की बात सुनते नहीं यदि उनके अनुसार किसी को सुन भी लिया गया तो उसमें लेन-देन में हीलाहवाली हो जाता है !
आला अधिकारियों द्वारा चिन्हित और अपने लोगों की थाने चौकी पर पोस्टिंग भी मुख्य कारण है...
लगातार मुख्यमंत्री और शासन के बड़े अधिकारियों द्वारा यह निर्देश दिया जाता है कि लोगों से मेलजोल और पुलिसिंग को दुरुस्त करने के लिए निरंतर कोशिश जारी रखें लेकिन आज दशा कहिए या दुर्दशा यह हो चुका है कि आसपास की हो रही घटनाओं की भी सूचना पुलिस को देने से लोग कतराते हैं आखिर क्यों यह सवाल निरंतर पुलिस और सुरक्षा की दृष्टि से बना है आगे भी बना रहेगा !
यह लेख आमतौर पर सच्चाई उजागर करने के लिए लिखा गया है ना कि किसी की छवि को धूमिल करने के लिए ...✍🏻
बने रहिएगा फिर अगली किसी सामाजिक मुद्दे पर कृष्णा पंडित के साथ
0 Comments