पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, वाराणसी (संवाददाता अभिषेक दुबे की रिपोर्ट)
वाराणसी। महात्मा गांधी अध्ययन समिति के 44 में अधिवेशन के समापन के दिन "गांधी दर्शन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और आधुनिक भारत" विषय पर बोलते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहां की कायिक, वाचिक और मानसिक हिंसा से दूर रहने वाला ही महात्मा है। ऐसे महान गुण गांधी जी में सहजता से विराजमान थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के आचरण को अपने जीवन में उतरने मात्र से व्यक्ति मानव से महामानव बन सकता है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी का व्यवहारिक आदर्शवाद भी काफी सराहनीय रहा है। उन्होंने अपने राजनैतिक और सामाजिक आदर्शो को हमेशा व्यवहारिक रूप दिया। वे समाज व धर्म को एक दूसरे के पूरक मानते थे। गांधीवादी दर्शन न केवल राजनीतिक, नैतिक और धार्मिक है, बल्कि पारंपरिक और आधुनिक तथा सरल एवं जटिल भी है।
गांधीजी ने इन विचारधाराओं को विभिन्न प्रेरणादायक स्रोतों जैसे- भगवतगीता, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, बाइबिल, गोपाल कृष्ण गोखले, टॉलस्टॉय, जॉन रस्किन आदि से विकसित किया। टॉलस्टॉय की पुस्तक ‘द किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू’ का महात्मा गांधी पर गहरा प्रभाव था। उनका मानना था कि यदि मनुष्य का संघर्ष सत्य के लिये है तो हिंसा का उपयोग किये बिना भी वह अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकता है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय की कुलपति सैयद एनुल हसन ने अपने वक्तव्य में कहा गांधी जी ने केवल अंग्रेजों द्वारा किए गए हिंसा का ही नहीं बल्कि घरेलू हिंसा का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी के अहिंसा जैसे सिद्धांतों का पालन करते हुए शांति की स्थापना की जा सकती है जिसकी आज पूरे विश्व को आवश्यकता है। गांधी जी के बारे में बताते हुए सैयद एनुल हसन ने उनके कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया, उन्होंने कहा की समता मूलक व्यवहार के पर्यायवाची है गांधी जी। गांधीजी 'सर्वधर्म समभाव' की भावना से प्रेरित थे जो कि आधुनिक युग में वैश्विक सद्भावना का वातावरण बनाए रखने और 'वसुधैव कुटुम्बकम' के विचार को साकार करने के लिये बेहद ज़रूरी है। वे साधन व साध्य दोनों की शुद्धता पर बल देते थे।
इस अवसर पर प्रोफेसर राम दुलार द्विवेदी, प्रोफेसर राजनाथ, प्रोफेसर सय्यद एनुल हसन सहित अनेको विद्वानों ने गांधी जी के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये और वर्तमान समय में उनकी उपयोगिता को बताया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रोफेसर शैलेश मिश्रा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर आर.पी. द्विवेदी ने दिया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन राय, डॉ. रूद्रानंद तिवारी, प्रो. सतीश राय, प्रो. एम. एम. वर्मा, प्रो. राम प्रकाश द्विवेदी, प्रोफेसर सुधीर जेना, प्रो. वी.एस. शेट्टार, प्रो. डागडे, प्रो. वी.सी. चौधरी, प्रो. सत्यदेव त्रिपाठी, शिवम तिवारी, अनूप जायसवाल, धनंजय पांडे समेत 14 राज्यों से आए शोध छात्र सहित अन्य उपस्थित रहे।
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