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गोभी की खेती बनी घाटे का सौदा, किसानों को नहीं मिल रहा लागत का भी दाम



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो 

महराजगंज/घुघली पल्टू मिश्रा

जिले के समीप भावचक रुदौली के गांव के किसान को गोभी की खेती में भारी नुकसान झेलना पड़ा। फसल उगाने पर कई हजार रुपये का खर्च आया, लेकिन मंडी में गोभी का दाम मात्र 4-5रुपए प्रति किलो मिलने से लागत भी नहीं निकल पाई।किसानों ने सरकार से सब्जियों की उचित कीमत सुनिश्चित करने की मांग की है।गांव की किसान इस बार गोभी की खेती में भारी नुकसान से जूझ रही हैं। उन्होंने आधा एकड़ जमीन पर गोभी की फसल लगाई, जिसमें खेत की चार से पांच बार जुताई करवाई, जिस पर अच्छा-खासा खर्च आया. इसके बाद 9,000 रुपये के बीज डाले, जिसमें 10 ग्राम का एक पैकेट पड़ता है और कुल 18 पैकेट की जरूरत पड़ी. उनकी फसल अच्छी हुई और जब गोभी तैयार हो गई, लेकिन बाजार में इसकी कीमत इतनी गिर गई कि लागत निकालना भी मुश्किल हो गया। अपनी फसल बेचने जाता किसान गोभी का भाव मात्र 4 से 5 रुपए प्रति किलो पा रहा है।वे कहते हैं कि इतने कम दाम में तो लागत भी नहीं निकल पा रही, बीज का खर्च तक वापस नहीं आया। अगर 20 से 30 रुपये किलो का भाव मिलता तो ही कुछ मुनाफा हो सकता था।लागत निकालना भी है मुश्किल

उन्होंने बताया कि इस साल गोभी की खेती में करीब 20 हजार रुपए की लागत आई है, जिसमें जुताई, बीज, खाद, पानी और फसल को मंडी तक ले जाने का खर्च शामिल है, लेकिन जब फसल बेचने की बारी आई तो मंडी में दाम गिरने से सारा गणित बिगड़ गया।किसान ने बताया कि किसान दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन जब फसल बेचने की बात आती है तो उसकी लागत तक नहीं निकलती. इस बार की फसल में तो पूरी तरह घाटा हो गया है।


सब्जियों के दाम सुनिश्चित करें सरकार

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किसान भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं। मंडी में गोभी के दाम इतने कम हैं कि लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि सब्जियों की उचित कीमत सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके और खेती करने का उत्साह बना रहे।

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