पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
महराजगंज/घुघली पल्टू मिश्रा
गर्मी और खासकर बारिश के दिनों में सांपों का कहर देखने को खूब मिलता है।क्या गांव, क्या शहर लोग डर-डर कर गुजरते हैं।लेकिन, ठंड आते ही ये सांप दिखना बंद हो जाते हैं।बरसात के दिनों में कहर बरपाने वाले सांप सर्दी शुरू होने पर कहां चले गए? इन दिनों ये सवाल लोगों के मन में खूब उठ रहा है। वैसे तो सांपों का ठिकाना जंगलों में होता है। लेकिन, ये अकसर भोजन की तलाश में बस्ती, गांव या मोहल्लों की ओर रुख कर देते हैं। सांप ज्यादातर चूहे और मेंढक की तलाश में घरों में घुस आते हैं।खासकर मानसून के दौरान सांपों की भरमार होती है, लेकिन, ठंड के दिनों में ये गायब हो जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि सर्दी में सांप कहीं चले जाते हैं।दरअसल, वे दिखना कम हो जाते हैं। अमूमन अधिकतर सांप गर्मी और मानसून के मौसम में ही एक्टिव रहते हैं।इस कारण ये जंगल के साथ-साथ इंसानी इलाकों में भी देखने को मिल जाते हैं। सर्दी के मौसम आते ही सांप हाईबरनेशन मुद्रा में चले जाते हैं। इस स्थिति को शीत निद्रा भी कहा जाता है। इस अवस्था में सांप भूख लगने पर या धूप सेकने के लिए ही बिलों से बाहर आते हैं, नहीं तो सोते ही रहते हैं।3-4 महीने सोते हैं…
सर्दी में सांप लगातार तीन से चार महीने तक शीत निद्रा में रहते हैं। इस समय सांप छिपने के लिए एक सुरक्षित स्थान चुनते हैं, ताकि कोई खतरा न हो। इस समय सांप अन्य दिनों में किए शिकार से जमा कैलोरी की सहायता से अपने शरीर को एनर्जी देते हैं।इससे उनके शरीर में जमा फैट भी कम होता है। इससे सांप जब शिकार करने निकलते हैं, तब उनके शरीर में फुर्ती बढ़ जाती है।शीत निद्रा की स्थिति में सांप केवल बीच-बीच में धूप लेने के लिए अपने बिलों से बाहर निकलते हैं। लेकिन, वहां भी काफी सुस्त पड़े रहते हैं।
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