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लूट सके तो लूट लो कोई कुछ कर नहीं सकता, सरकार कोई भी हो

 लूट सके तो लूट लो कोई कुछ कर नहीं सकता, सरकार कोई भी हो


कृष्णा पंडित की कलम से


वाराणसी: 21 वी शताब्दी में जहां लोग तकनीकी रूप से खुद को मजबूत और वैज्ञानिक समझ से विकसित मान रहे हैं !वही भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा आम जनता व सरकार को लूटने का तेजी से सरपट दौड़ चल रहा है !


घोटाले बाजो की कमी नहीं हर दर पर, हर विभाग में अपना पैर जमाए हैं


 ओवरलोडिंग को लेकर सरकार सख्त है। लेकिन खुद की जेब भरने के चक्कर में हाईवे से जुड़े जिलों के एआरटीओ वाहनों को धड़ल्ले से पास करा रहे हैं। ओवरलोडिंग घोटाले में पूर्व के साल में गोरखपुर में पकड़े गए ढाबा संचालक धर्मपाल और एजेंट आशीष की काल डिटेल में कई एआरटीओ की पोल खुली थी! शासन ने विशेष अनुसंधान दल को पूरे प्रकारण की जांच सौंप दी है। घोटाले में नाम सामने आने के बाद वाराणसी, चंदौली, मीरजापुर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, मऊ, प्रयागराज, बस्ती, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर सहित 18 जिलों के ए आरटी ओ से एसआईटी की टीम द्वारा पूछताछ भी किया गया था ! 


कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ने लूटने का इनको हथियार दे दिया


आज भी ओवरलोडिंग घोटाले में कई जनपदों के परिवहन अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका लूट घसोट के दायरे में है ! जांच नोटिस की प्रक्रिया सिर्फ एक मेंटेनेंस और सत्ता की सवाल से जुड़ा है जबकि सरकारी विभाग की अधिकारियों के ऊपर इतनी सख्ती होनी चाहिए कि कोई भी यदि भ्रष्टाचार करता है तो उसके मन में डर हो लेकिन यहां तो कानून का माखौल और दुरुपयोग के साथ अपने संबंधों का निर्वहन करते हुए अधिकारी जबरदस्त लूटपाट मचाए हुए हैं ! वैसे भी चंदौली का उप संभागीय परिवहन विभाग पूर्व घोटाले के मामले में काफी बदनामी झेल चुका है। आरएस यादव प्रकारण ने पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया था। बावजूद यहां का महकमा सुधरने का नाम नहीं ले रहा ! कोशिश लाख कर ले सरकार लेकिन यदि कोई ठोस कानून भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पारित नहीं किया जाता तब तक यह इसी तरीके से जनता के खून पसीने की कमाई जो टैक्स के रूप में सरकार जबरदस्ती वसूल रही है उसको अपनी लग्जरी व्यवस्था और संसाधनों पर उड़ाते रहेंगे सरकारी सेवा का भरपूर उपयोग करते हुए सरकार को लूटते रहेंगे !


भ्रष्ट अधिकारियों ने तंत्र और सामाजिक व्यवस्था में सेंध लगाकर निजी स्वार्थ के लिए अपनी एक लूट की दुकान सजा रखी है संपत्तियों का अंबार लगा कर खुद को तानाशाही मानते हुए कानून की तोड़ के साथ खेलते हैं और मामूली सा साधारण व्यक्ति को अपने ऑफिस के दरवाजे तक दौड़ाते ,दौड़ाते उसकी जिंदगी में गरीबी का पसीना के साथ भरपूर अपने अधिकारी होने का रौब समझाते हैं बाद में वह गरीब आदमी हो रहे अनेकानेक भ्रष्टाचार के प्रति खुद को लाचार महसूस कर घर बैठने को मजबूर हो जाता है !सरकार द्वारा इन पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ सस्पेंड या दूसरे जिले में ट्रांसफर की कार्रवाई की जाती है जबकि इनको बर्खास्तगी के बाद जेल का दरवाजा खोल कर इन्हें जीवन भर वही का हवा देना उचित होगा क्योंकि इन्होंने संविधान के साथ खिलवाड़ और सरकार आम जनता को आंख में धूल झोंकने का कार्य किया है!!

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