कृष्णा पंडित की कलम से
वाराणसी: काशी नगरी मोदी जी का संसदीय क्षेत्र मुख्यमंत्री का पाक्षिक व साप्ताहिक आगमन जिससे यहां की व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए जिम्मेदार हुक्मरान पर भी विशेष दबाव रहता है लेकिन वजह बेवजह पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं ! कुछ बद नियति कह लीजिए कि आजकल चवन्नी चाटुकार और बरसों से जमे हुए थाने में मझे खिलाड़ी जिनकी पहुंच और पैठ अधिकारियों से लेकर अनैतिक कार्य संचालित करने वाले लोगों से हैं जिनकी कार्य शैली में सिर्फ वसूली को अमली जामा पहनाने के अलावा रणनीति के तहत लोगों को अपना शिकार बनाने की कवायत चलती है ! पूर्व के दिनों में बेवजह थाना इंस्पेक्टर कैंट को भी शिकार होना पड़ा वही आज दूसरी तरफ बेहद ईमानदार छवि के सारनाथ इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता जिनकी पहचान पुलिसिया इकबाल और मिसाल के लिए शानदार व्यक्तित्व आम लोगों के बीच बनी रही उनको भी कल शिकार होना पड़ा जिन्होंने कई केसेस और मामले में अपराधियों की कलई तोड़ खुलासा करते हुए विशेष पहचान बना रखी है !
बिना किसी शिकायत होना पड़ा लाइन हाजिर
दलालों के मकड़जाल में बुरी तरीके से बेबुनियाद आरोप के साथ सोशल मीडिया पर खबर वायरल कर इनको अपने अदब में लेने की भरपूर कोशिश किया गया और बेचारे ऊपर के आला अधिकारी जिनको गुमराह करते हुए रणनीति व षड्यंत्रकारियों ने बिना साक्ष्य सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए खबर वायरल कराकर परमहंस गुप्ता को लाइन हाजिर कर दिया जबकि उनके विरुद्ध जिला प्रशासन को ना कोई शिकायती पत्र ना ही किसी प्रकार की आरोप लगा ! सबसे बड़ी बात यह है की बिना किसी शिकायत और जांच के पुलिस के मजबूत स्तंभ और ईमानदार व्यक्ति को इस तरीके से जलील क्यों होना पड़ा ..??उसके पीछे वजह क्या है कौन है वह लोग जो पुलिसिया तंत्र को अपने प्रभाव से संचालित करते हैं ऐसे ही यदि चलता रहा तो पुलिस का इकबाल गिरने के साथ-साथ व्यक्ति का मनोबल को भी चोट लगता है ! पूर्व के कार्यकाल और व्यक्ति द्वारा किया गया सराहनीय कार्य उसकी पहचान होता है लेकिन बिना किसी वजह इस तरीके का निर्णय वाराणसी पुलिस के लिए ठीक नहीं !
कुछ मीडिया घराना ने तो मामले को ऐसे तूल दिया जैसे बहुत बड़ा अपराध की व्यवस्था को खंडित करने के लिए चोट दे रहे हो जबकि सामाजिक मुद्दे और दलालों की कहानी कहीं ना कहीं इन ननकू भईया लोगों की वजह से सांठगांठ में खूब सम्मान बढ़ा रहा है ! आज ज्यादातर थानों पर दलालों की भूमिका महत्वपूर्ण और सक्रिय है लेकिन कुछ थाना और चौकी जहां ईमानदार कार्मिक अपने व्यक्तित्व से संचालित कर रहे हैं जिनकी पहचान पुलिसिया रुतबे को चार चांद लगाती है !
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