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अब बढ़ने लगी सबसे छोटी गाय पुगनुर की चाहत



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो

 महराजगंज/घुघली

पल्टू मिश्रा


सोशल मीडिया पर एक वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौसेवा करते नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी के साथ वीडियो में जो गाय दिख रही हैं वो दुनिया में सबसे छोटी नस्ल की गाय हैं। इन गायों को पुंगनूर के नाम से जाना जाता है और इनकी खासियत इनकी कम हाइट होती है। वीडियो वायरल होने के बाद राजस्थान में भी काफी लोग इसे खरीदना चाहते हैं।जनपद महाराजगंज के सिसवा क्षेत्र के भुजौली गांव में प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धीरु भइया ने अपने घर जिले में पहली बार लाकर काफी खुश हैं।उन्होंने बताया कि यह गाए पूरे घर में आसानी से घूम लेती हैं कम चारा में काम चल जाता है।तो वही बैडरूम अपना आशियाना बना लेती हैं जिससे आसानी से इनको रखा जा सकता है।पुंगनूर गायें आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर इलाके में पाई जाती हैं। इसी वजह से इनका नाम पुंगनूर पड़ा। पुंगनूर गाय का दूध अन्य गाय के मुकाबले काफी पौष्टिक और गाढ़ा होता है। दूसरी गायों की तुलना में पुंगनूर गाय के दूध में मक्खन भी ज्यादा निकलता है। इन गायों का गोबर और मूत्र भी बेचा और खरीदा जाता है। इन गायों को पालने का खर्च कम है।पुंगनूर गाय की खासियत

दरअसल हाइब्रिड गाय से मुनाफा कमाने के लिए कई पशुपालकों ने इन्हें पालना छोड़ दिया, जिसके बाद इन पर खतरा मंडरा रहा है। 2020 में आंध्र प्रदेश की सरकार ने इसे बचाने के लिए मिशन पुंगनूर लांच किया था और अब फिर पीएम द्वारा शेयर किए गए वीडियो की वजह से एक बार फिर इन गायों ने सुर्खियां बटोर ली है।"पुंगनूर गाय का इतिहास क्या हैं?

यह गाय ऋषि-मुनि के द्वारा पाले जाते थें इस गाय का इतिहास 2000 साल पुराना हैं, यह गाय सुखा और रोगी के प्रतिरोधी हैं इतना ही नही इस गाय के गोबर और मूत्र के भी औषधीय महत्व हैं |पुंगनूर गाय की उम्र कितनी होती हैं?पुंगनूर गाय की औसत उम्र 15 से 20 साल तक की होती हैं |इसके अलावा पुंगनूर गाय का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो इसे भारत की सबसे पुरानी गाय नस्लों में से एक बनाता है। जिसका नाम आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर शहर के नाम पर रखा गया था।

अगर देखा जाए तो पुंगनूर गाय को सबसे ज्यादा दक्षिण भारत के लोग पालते है और पुंगनूर गाय सबसे अधिक दक्षिण भारत में सबसे अधिक पायी जाती है। हालंकी पुरे भारतवर्ष में लगभग 43 से अधिक देशी नस्लों की गाय है, जिनमें से पुंगनूर गाय भी शामिल है।इस नस्ल को पुंगनूर क्षेत्र के शासकों द्वारा विकसित किया गया था और इसलिए इसका नाम इस क्षेत्र के नाम पर रखा गया। प्रजनन क्षेत्र आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर तालुकों और वायलपाड, मदनपल्ली और पालमनेर के निकटवर्ती तालुकों तक सीमित रहा।

पुंगनूर गाय की सबसे बड़ी खासियत तो यह है कि यह वफादार बहुत है। दूसरा यह कि यह रोज दिन 3 लीटर दूध देती है।यह दुनिया की सबसे छोटी महज ढाई फीट की गाय है। पुंगनूर गाय को रोज दिन केवल 5 किलो चारे की जरूरत होती है। जानकारों का मानना है कि पुंगनूर गायों के दूध में काफी औषधीय गुण होते हैं।असली पुंगनूर वैदिक काल में ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र के समय में मौजूद था।जैसे-जैसे जलवायु बदली और स्थान बदला, पुंगनूर की ऊंचाई बढ़ती गई। पहले पुंगनूर की ऊंचाई ढाई से तीन फीट होती थी और इसे ब्रह्मा नस्ल कहा जाता था।पुंगनूर नस्ल के दूध में वसा की मात्रा ज्यादा होती है। यही वजह है कि इस गाय को स्थानीय लोग गोल्ड माइन भी कहते हैं। पुंगनूर गाय सफेद, भूरे, हल्के या गहरे भूरे और काले रंग की हो सकती हैं।पुंगनुर गाय की कीमत कितनी होती है।

पुंगनुर गाय की आयु जितनी कम होगी उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होती है। इसकी कीमत अधिक होने का कारण इसकी कम संख्या है। दुनिया में सबसे छोटी नस्ल होने की वजह से इसकी कीमत ज्यादा है। पुंगनूर गाय की कीमत 1 लाख से 5 लाख रुपए के बीच है। बस जहां आप रहते हैं वहीं पर इसे पाल सकते हैं।हाल ही में अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक छोटी सी गाय के साथ देखा होगा। जिसकी कुछ तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। इस छोटी सी दिखने वाली गाय का नाम पुंगनूर है और इस समय यह छोटी सी गाय हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको पुंगनूर गाय के इतिहास और जीवनकाल के बारे में बताएँगे और यह भी बताएँगे की यह छोटी सी दिखने वाली पुंगनूर गाय को आप कैसे खरीद सकते है और इस छोटी सी दिखने वाली गाय का मूल्य क्या है? इन सब जानकारी को प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक जरूर पढ़े। तभी आप यह छोटी सी दिखने वाली क्यूट सी पुंगनूर गाय के इतिहास और जीवनकाल के बारे में अच्छे से जान पाओगे |इतिहासकारों की माने तो पुंगनूर गाय का इतिहास काफी पुराना है। पुंगनूर गाय का इतिहास ब्रिटिश काल से चला आ रहा है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी उस दौरान पुंगनूर गाय को अपने पास रखते थे। ताकि वह इन गायों से घी और  दूध निकालकर उनका सेवन कर सके। हालंकी 19वीं शताब्दी आते-आते इन गायों की लोकप्रियता कम होने लगी और उस समय विदेशी नस्लों की गायों को भारत लेकर आया गया।

उसके बाद 20वीं शताब्दी आते-आते पुंगनूर गाय लुप्त होने लगी, जिसके बाद 21वीं शताब्दी में इनकी जनसंख्या को बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किये गए। इसके अलावा भारतीय गैर-सरकारी संगठनों एन जी ओ भी पुंगनूर गाय की नस्लों में वृद्धि करने के लिए काफि प्रयास कर रही है। ताकि इन छोटी सी दिखने वाली गाय की आबादी बढ़ सके और लोग इन्हे अपने घरों में पाल सके।

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