पूर्वांचल राज्य ब्यूरो महाराजगंज
घुघली पल्टू मिश्रा
महाराजगंज,भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा दुनिया को 86 साल की उम्र में अलविदा कह दिया है. ये किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। इनके नाम ऐसी कई उपलब्धियां रही हैं, जो बड़े-बड़े दिग्गज भी नहीं कर सके. 21 साल की उम्र में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने से लेकर कंपनी को नई बुलंदियों पर पहुंचाने में रतन टाटा की कड़ी मेहनत रही है। मिडिल क्लास के कार का सपना पूरा करने में भी रतन टाटा की बड़ी भूमिका थी। इतना ही नहीं भारत की ग्रोथ में भी रतन टाटा की भूमिका महत्वपूर्ण रही रतन टाटा की ऐसी कई बड़ी भूमिकाएं और उपलब्धियां हैं, जिसकी अगर व्याख्या करने बैठे तो शायद शब्द कम पड़ जाए। लेकिन आज हम उनके कुछ ऐसी उपलब्धि के बारे में बता रहे हैं, जो उनके अलावा कोई और नहीं कर सका।1 लाख में मिडिल क्लास के लिए कार मिडिल क्लास को कार चलाने का सपना पूरा करने के लिए रतन टाटा ने एक बड़ा कदम उठाया था और 1 लाख रुपये से भी कम कीमत में कार प्रोवाइड कराने का प्लान तैयार किया। कुछ साल तक इस प्लान पर काम करने के बाद उन्होंने साल 2009 में मिडिल क्लास के लिए 1 लाख रुपये से कम कीमत में नैनो कार पेश कर दी, जो आम लोगों के बीच खूब पॉपुलर हुई।
बेंगलुरु में एक एयर शो के दौरान रतन टाटा को 400 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का F-16 ब्लॉक 50 फाइटर जेट उड़ाने का मौका मिला था। 69 साल के होते हुए भी उद्योगपति का लड़ाकू विमान उड़ाना कोई आम दृश्य नहीं था और इस कारनामें का वीडियो आज भी लाखों लोगों को आकर्षित करने के लिए काफी है।रतन टाटा उस F-16 लड़ाकू विमान के को-पायलट थे जिसकी कमान पॉल हैटनडोर्फ ने संभाली थी।फाइटर जेट की टॉप स्पीड 2000 किमी/घंटा से ज्यादा है। उड़ान के दौरान ही उन्होंने इसका कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया था
नहीं कर सका कोई ऐसा काम
रतन टाटा के नाम एक और ऐसी उपलब्धि है, जिसे पहले कोई नहीं कर सका था. रतन टाटा भारत के पहले ऐसे व्यक्ति बने थे, जिन्होंने एफ-16 फाल्कन फाइटर जेट उड़ाया था।इस कारनामें को उन्होंने 2007 में बेंगलुरु एयरशो के दौरान किया था। रतन टाटा से पहले इस फाइटर जेट को किसी ने भी नहीं उड़ाया था। रतन टाटा फाइटर जेट के अलावा लग्जरी गाड़ियों का भी शौक रखते थे इनके पास फरारी से लेकर मसर्डिज तक कई कार्स थें।पद्म विभूषण से सम्मानित
रतन टाटा को उनके परोपकारी काम और देश की तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए कई बार सम्मानित किया गया था। साल 2000 में रतन टाटा को पद्म भूषण और साल 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
1991 में बने थे चेयरमैन
गौरतलब है कि रतन टाटा को 21 साल की उम्र में साल 1991 में ऑटो से लेकर स्टील तक के कारोबार से जुड़े समूह, टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया था। चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया था। उन्होंने 2012 तक इस समूह का नेतृत्व किया, जिसकी स्थापना उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी।1996 में टाटा ने टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को मार्केट में लिस्ट कराया था।
0 Comments