राजीव शंकर चतुर्वेदी
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
बलिया। जनपद स्थित बांसडीह विधानसभा का एक गांव बहुआरा है। जो कि हल्दी कस्बा से 6 किलोमीटर उत्तर और "सहतवार' कस्बा से 5 किलोमीटर दक्षिण में हल्दी - सहतवार मार्ग पर स्थित है। इसका पड़ोसी गांव बिंगही है जो इसके दक्षिण सीमा से लगा हुआ है। बहुआरा गांव सहतवार थाना के अंतर्गत आता है। इस गांव के पूर्व दिशा में श्री पचेवदेवी का मंदिर है जिसकी ख्याति सर्वत्र फैली हुई है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त बिना किसी लालच, द्वेष, ईष्र्या के शुद्ध मन से देवी की आराधना करता है और देवी से जो कुछ भी मांगता है वह अवश्य मिलता है। देवी के नाम पर ही आसपास के क्षेत्र को पचेव कहां जाता है। पचेवदेवी का मेला मई के महीने में लगता है जोकि बहुत प्रसिद्ध था लेकिन किन्हीं कारणवश अब लुप्त प्राय हो चुका है। पूर्व काल में यहां वाल्मीकी आश्रम के होने का सांस्कृतिक अवशेष जिले की सदर तहसील के पचेव गांव में स्थित माता सीता पचेव मंदिर है। प्राचीन मंदिर में आदमकद माता सीता की दो छोटे बच्चों कुश और लव के साथ लाल बलुआ पत्थर की बनी प्रतिमा स्थापित है। इस गांव के निकट ही बिगही,बहुआरा, सीताकुण्ड गांव है। स्थानीय लोक परंपराएं भी प्रमाणित करती हैं कि सीता ने अपना निर्वासन काल यहां स्थित वाल्मीकि आश्रम पर बिताया था। पचेव गांव में जो माता मंदिर है, यहां स्थानीय महिलाएं दालभरी पूरी चढ़ाती हैं। जिसे बहू के आने पर विशेष रूप से घरों में बनता है। सूचना विभाग बलिया द्वारा प्रकाशित वार्षिक पत्रिकाओं में भी इसका उल्लेख है कि यहां पर वाल्मिकी आश्रम था। जहां सीता ने कुश-लव को जन्म दिया था। इसके कारण ही बहुआरा (बहू का निवास स्थान) नाम पड़ा।
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