जीने का नजरिया बदलिए: "इंतजार में है सुनहरा भविष्य" रहा टॉपिक
पूर्वांचल राज्य समाचार, वाराणसी
उप संपादक ठाकुर सोनी व पूर्वी उ.प्र.ब्यूरो प्रभारी फणिन्द्र मिश्रा
वाराणसी। श्रीअग्रसेन कन्या पी. जी.कॉलेज के बुलानाला परिसर में समाजशास्त्र विभाग एवम् मनोविज्ञान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से विश्व आत्महत्या निवारण दिवस पर जीने का नजरिया बदलिए इंतजार में है सुनहरा भविष्य विषयक पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवम् अतिथियों के स्वागत से हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य एवम् प्रबंधक ने अतिथियों का स्वागत एवम् सम्मान पुष्प गुच्छ एवम् स्मृति चिन्ह प्रदान कर के किया। विषय स्थापना प्रो मिथिलेश सिंह प्राचार्य एवम् प्रो कुमुद सिंह अध्यक्ष समाजशास्त्र द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। विषय स्थापना करते हुए प्राचार्य जी ने कहा कि व्यक्ति एवम् समाज एक दूसरे पर परस्पर निर्भर है, आज के युग में आध्यात्मिक दृष्टि की बात अवश्य होनी चाहिए गीता से बड़ी कोई काउंसिलिंग नही हो सकती। प्रो कुमुद सिंह ने विषय स्थापना करते हुए आत्महत्या को परिभाषित किया और आत्महत्या निवारण के उपायों की चर्चा करते हुए समाजिक एकीकरण, समरसता और सहयोग को अपनाने की बात कही। इसी क्रम में विशिष्ट वक्ता डॉ मिथिलेश सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग सावित्री बाई फुले राजकीय महिला पी. जी .कालेज चकिया ने भारतीय ज्ञान परंपरा की व्याख्या करते हुए आत्महत्या के प्राचीन काल से ले कर वर्तमान काल तक के स्वरूप को बताया।मुख्य वक्ता प्रो मीनाक्षी बाजपेई मनोविज्ञान विभाग आर्य महिला पी. जी. कॉलेज वाराणसी ने आत्महत्या करने वालों के व्यवहार की पहचान एवम् उनकी सहायता किस प्रकार की जा सकती है, इसपर विस्तृत व्याख्यान दिया।कार्यक्रम का संचालन प्रो आभा सक्सेना समाजशास्त्र विभाग एवम् धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आराधना श्रीवास्तव मनोविज्ञान विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर समाजशास्त्र विभाग एवं मनोविज्ञान विभाग की छात्राओं ने पोस्टर की प्रदर्शनी भी लगाई उन्हें पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर प्रोफेसर संध्या ओझा, डॉ. वेणु माम, डॉ.धनंजय सहाय, डॉ.विनीता, डॉ.शशि बाला, डॉ.मंजरी, डॉ.एकता, डॉ.श्वेता सहित सभी छात्राएं उपस्थित थी।
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