राजेश्वरी महिला महाविद्यालय में हिंदी दिवस कार्यक्रम क्या हुआ आयोजन
हरहुआ राजेश्वरी महिला महाविद्यालय हरहुआ वाराणसी में आज हिंदी दिवस पर अपने लेखक से मिलिए कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ राघवेन्द्र नारायण सिंह का स्वागत किया गया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में डाक्टर राघवेन्द्र ने कहा कि अपनी भाषा अपनी मां की तरह ही होती है।जिस तरह कोई अन्य स्त्री मां का स्थान नहीं ग्रहण कर सकती उसी तरह मातृभाषा का स्थान अन्य कोई भाषा नहीं ले सकती है। हमें अपनी भाषा में लिखने या बात करने में किसी से प्रमाण नहीं लेने की आवश्यकता होती है जबकि अन्य भाषा के लिए हमें दूसरों से प्रामाणिकता के लिए अनुमोदन की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा हिंदी में अन्य भाषाओं के शब्दों को लेने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे भाषा समृद्ध होती है और उसमें संप्रेषण की क्षमता सशक्त और व्यापक होती है। बिना अपनी भाषा के विकास के हम कभी मौलिक विकास नहीं कर सकते हैं। हमारे वेद उपनिषद आदि हमारी ही भाषा में हैं जिनपर हमें गौरव-बोध होता है। हिंदी की सार्वग्राह्यता आवश्यक है। हिंदी में हमें उच्चारण और वर्तनी की शुद्धता पर और भी अधिक ध्यान देना चाहिए। डा राघवेन्द्र ने अपने नये काव्यसंग्रह
"अंधेरों की खिलाफत में" से दो कविताओं का काव्यपाठ किया जिसपर करतल ध्वनि से स्वागत किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं ने साहित्यकार डॉ राघवेन्द्र नारायण सिंह का माल्यपुष्प से स्वागत किया। छात्राओं और शिक्षकों ने भी भाषण और गीतों के माध्यम से हिंदी दिवस पर अपने विचार अभिव्यक्त किए। कार्यक्रम में उपनिदेशक अंशुमान सिंह, डी के तिवारी, सुमन सिंह, महिमा मिश्रा, प्रियंका श्रीवास्तव, संजय मिश्रा, इकबाल अहमद, विनय दुबे, बसंती देवी ने शिरकत की। संचालन सुमन सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ डी के तिवारी ने किया।
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