पूर्वांचल राज्य ब्यूरो,गोरखपुर (मंडल प्रभारी बीपी मिश्र)
देवरिया।भाटपार रानी स्थानीय उपनगर के मदन मोहन मालवीय पीजी कॉलेज भाटपार रानी में "खाद्य सुरक्षा जागरूकता अभियान" पर राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया l संगोष्ठी की अध्यक्षता प्राणि विज्ञान के सहायक आचार्य डॉ मनोज राय ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राणि विज्ञान के अध्यक्ष डॉ सुधीर शुक्ला रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में रक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ अंशुमन सिंह एवं हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिमन्यु पांडेय उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप मैं संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ सुधीर शुक्ला ने कहा कि खाद्य सुरक्षा आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है, और यह सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। इसे हमें एक चुनौती के रूप में लेकर प्रचार -प्रसार के साथ अपने आचरण और व्यवहार में इसे अपनाना होगा। एक शोध से पता चला कि हम समारोहों ,पार्टियों में जितना खाते नहीं है उससे ज्यादा बर्बाद कर देते हैं, एक तो हमें ज्यादा बनवाना नहीं चाहिए और दूसरा उतना ही थाली में ले जितना हम खा सकें ,खाते समय हम उस लाचारी अभावग्रस्त व्यक्ति को ध्यान में रखें तो शायद यह गलती हमसे ना हो। खाद्य सुरक्षा और संरक्षा के लिए समाज को जागरूक करने हेतु हमें और आपको आगे आना होगा तभी इस समस्या से हम मुक्ति पाएंगे। विशिष्ट अतिथि डॉ अंशुमान सिंह ने कहा कि खाद्य सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम से आशय है, हमें खाद्य पदार्थों की आपूर्ति जरूरतमंदों तक सुनिश्चित करना। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का भरण- पोषण ही इसका लक्ष्य है। हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिमन्यु पांडेय ने कहा कि सनातन धर्म में भोज्य पदार्थ को अन्नपूर्णा माता का स्थान दिया गया है, हम भोजन पाने से पहले इनकी पूजा करते हैं, तथा पा लेने के बाद प्रार्थना करते हैं कि अपनी कृपा हमारे पर बनाए रखिएगा ताकि हमारे भरण पोषण में कोई कठिनाई नहीं हो, पर आज के लोग भौतिकवादी जीवन से प्रभावित हैं अपने पेट तक सोचते हैं ,जीने के लिए नहीं खाते, खाने के लिए जीते हैं। यह पाशविक वृत्ति है, इससे न तो समाज का भल होगा ना ही राष्ट्र का। हमें अपने सोच और दृष्टिकोण में परिवर्तन करना होगा । अपने अध्यक्षीय उद्बबोधन में डॉ मनोज राय ने कहा की खाद्य सुरक्षा जागरूकता अभियान का बहुत ही व्यापक उद्देश्य है, इससे हम अपने देशवासियों का भरण पोषण कर सकते हैं, तो आर्थिक सेहत को भी साध सकते हैं, कभी हम अपने भोजन सामग्रियों(अन्न) के लिए दूसरे देशों पर आश्रित थे, फिर हम आत्मनिर्भर हुए, आज हम कई देशों में खाद्य सामग्री का निर्यात कर अपनी आर्थिक सेहत भी सुधार रहे हैं। यदि हमें 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो खाद्य सुरक्षा के परंपरागत और आधुनिक नवाचारों को अपनाकर वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ रणजीत सिंह ने किया तथा आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कर आभार जताया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर प्रतिभा किया।
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