✍🏻 कृष्णा पंडित की कलम से
टोटो वाले हैरान परेशान दे रहे रोजी-रोटी के लिए इम्तिहान
सरकारी व्यवस्था का मनमानी प्रारूप पहले तो खूब जमकर एजेंसी के माध्यम से टोटो बेचा रजिस्ट्रेशन और टैक्स के नाम पर वसूली की फिर बाद में जब हज़ारों की संख्या हो गई तो पाबंदी...
रोजी-रोटी के लिए रोजगार करना परिवार की भरण पोषण का ख्याल रखना यह कोई अपराध नहीं बल्कि अपनी नैतिक जिम्मेदारी और पारिवारिक संरक्षण की कहानी है रोटी कपड़ा और मकान के लिए लोग शहर तो क्या कस्बे से कई किलोमीटर दूर जाकर दिहाड़ी से लेकर चौकीदारी और ठेकेदारी का कार्य करते हैं अपनी शिक्षा दीक्षा के अनुसार जैसे भी उनको जीवनचर्या व्यवस्थित करने के लिए जो रोजी रोजगार मिल जाए उसके साथ वह अपना काम की शुरुआत करते हैं !
बड़े-बड़े शहरों में छोटी-छोटी बातें
वाराणसी कुछ लोग सुनकर चकित होंगे कुछ असमंजस की स्थिति में इस बात पर सवाल उठाएंगे कुछ नए प्रतिक्रिया के साथ बकवास बताएंगे ! लोगों का मानना है की बनारस में ज्यादा से ज्यादा टोटो होने की वजह से जाम की बड़ी समस्या उत्पन्न हुई कुछ हद तक यह बातें तथ्यात्मक भी है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पीछे जिम्मेदार कौन है..? इस बारे में भी सबको सोचना चाहिए कई अलग-अलग रोजगार से जुड़े लोगों ने जब तकनीकी माध्यम से टोटो बाजार में उतरा गया तो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के बाद जहां यात्रियों की संख्या बहुत तेजी से बढी वही वाराणसी में बिना किसी ड्राइवरी लाइसेंस वाहन चालक और वाहन स्वामी की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई कई अलग-अलग धंधे से जुड़े लोगों ने भी टोटो लेकर अपना नई धंधा स्टार्ट कर लिया और तो और जैसे सब्जी बेचने वाले दिहाड़ी करने वाले मजदूर दुकान पर काम करने वाले लोगों ने एजेंसी से टोटो फाइनेंस कर मार्केट में दौड़ना प्रारंभ कर दिया ! अच्छी खासी कमाई भी होने लगी जिससे धीरे-धीरे कर यह पांव पसारता गया और वाराणसी जैसे शहर में हजारों की संख्या में सड़क पर सरपट दौड़ने लगा जाम की समस्या लगातार बनी रहे लेकिन हुक्मरान सिर्फ मात्र अपनी डफली बजाते रहे !
सबसे गंभीर बात यह है कि कोई भी मानक निर्धारित नहीं किया गया एजेंसियों ने अपनी कमाई के लिए दलालों को मार्केट में उतारा और लोगों को टोटो से हो रही आमदनी और कम पैसे में फाइनेंस की बात का कर खूब बेचवाया !
दोष किसका खरीदने वाले बेचने वाले या अधिकारी बनकर सिर्फ चुपचाप देखने वाले का
ज्यादातर अशिक्षित बेरोजगार और कम पढ़े लिखे लोग ही टोटो का संचालन कर रहे हैं यही नहीं कई लोगों ने तो दर्जनों टोटो खरीद कर भाड़े पर दे रखा है किसी किसी के पास तो सैकड़ो की भी संख्या में टोटो है और तो और चार्जिंग के लिए भी लोग जमकर वसूली कर रहे हैं बताया जाता है कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति एक टोटो से ₹300 का चार्ज चालक से लिया जाता है और चार्जिंग के लिए ₹50 निर्धारित है! किसी भी व्यक्ति को उसका अधिकार है की अपनी जिंदगी को आर्थिक रूप से मजबूत और जीवन में आने वाली आर्थिक समस्या से निपटने के लिए मेहनत कर उज्जवल भविष्य की कामना करें ! यह कोई अपराध नहीं ना है किसी ने कोई अपराध किया है हां कुछ अपराधी भी इस धंधे से जरूर जुड़े जो रात्रि में यात्रियों को लूटपाट का भी काम करते नजर आए जिसका खुलासा कई बार मीडिया के माध्यम से हुआ ! गंभीरता से यदि सोचा जाए तो कहीं ना कहीं जिम्मेदार हुक्मरान जो समय-समय पर सिर्फ ठोस निर्णय लेकर अपनी आदेश सुनाते हैं जबकि होने वाली समस्या से निपटने के लिए बिना किसी संसाधन उपलब्ध कराए चंद चाटुकार मीडिया घरानो से अपनी वाहवाही उठाते हैं !
उस दिन कहां थे जब एजेंसियों से परिवहन शुल्क लेकर सरकारी व्यवस्था को मजबूत कर रहे थे उस दिन कहां थे जब रजिस्ट्रेशन और टैक्स के नाम पर तिजोरिया भरी जा रही थी उस दिन कहां थे जब सीमित धारा में असीमित संख्या संचालन के लिए चालकों ने दौड़ लगाने की कवायत शुरू की !
विकराल संकट टोटो के परिजनों और छोटी-छोटी एजेंसियां संचालित कर रहे मालिकों पर आ गई है आपको समझाते हैं किस तरीके से जिनके परिवार का भरण पोषण टोटो के कारण हो रहा था कई ऐसी परिवार है जिनके घरों में चूल्हे की दरकार है और इंतजार भी क्योंकि जिस तरीके से जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है वह सिर्फ खानापूर्ति ही है 70% टोटो लगभग आज भी कहानी खड़े हैं और अपने चलने के इंतजार में बैठे हैं !
देश के प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव से यह तो साफ है कि वाराणसी में लोगों ने क्या मंशा जाहिर की वहीं स्थानीय नेताओं के निरंकुशता और जनता के प्रति अपनी जवाब देही न होने की वजह से लोगों में बीजेपी के प्रति बहुत आक्रोश है ! कई सारे मुद्दे ऐसे हैं जो सिर्फ दबी जुबान चुनाव आने पर वोट के रूप में इनका जवाब देने के लिए तैयार हैं लेकिन सफेद कुर्ता पहन नेताजी सिर्फ अपने सुकाम को गिनाते नजर आते हैं लेकिन जो काम वर्षों से इंतजार में खड़े हैं वह सिर्फ इंतजार कर रहा है ! टोटो संचालन जैसे मामलों में बनारस के किसी नेताओं ने आगे आकर हो रही इस परेशानी से निदान के लिए कोई कदम नहीं उठाए और ना ही रुचि दिखाई सिर्फ मात्र वोट लेने के समय हाथ हिलाकर योगी मोदी का सहारा लेकर अपनी दुकान चला रहे हैं यह कोई समस्या किसी एक निजी व्यक्ति का नहीं है सड़क जाम होने से आगंतुक व जन सामान्य लोग भी प्रभावित होते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं की किसी की पेट पर बिना किसी ऑप्शन उसको तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए !
आज कई ऐसे टोटो वाले हैं जो अपनी गाड़ी का किस्त नहीं भर पा रहे हैं एजेंसियों का दबाव झेल रहे हैं ऐसी स्थिति में आत्महत्या से लेकर ढेर सारी उलझने पैदा हो जाती हैं उलझने बढ़ने के साथ-साथ परिवार में झगड़ा और मन मोटाव एक भयंकर रूप लेकर नई कहानी को जन्म देता है ! निश्चित तौर पर सड़क जाम बनारस के लिए गंभीर समस्या है लेकिन निदान के लिए किसी के पेट पर लात मारना और बिना किसी व्यवस्था अपनी निर्णय सुना देना कहां तक उचित है यह आप विचार करें !
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