जेएनसीयू में हिन्दी का बाज़ार, बाज़ार की हिन्दी विषय पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
हिन्दी के प्राध्यापकों का हुआ सम्मान
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
राजीव शंकर चतुर्वेदी
बलिया। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर शनिवार को विवि के सभागार में ' हिन्दी का बाजार, बाजार की हिन्दी' विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित विद्वानों ने प्रतिभाग किया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि हिन्दी को ज्ञान की भाषा के रूप में स्वीकारना होगा। दिल से निकली हुई भाषा, मस्तिष्क से उपजने वाली भाषा की जगह नहीं ले सकती। हिन्दी दिलों की ज़बान है। प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति, महाराज गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर ने कहा कि प्रतिरोध और प्रतिकार का स्वभाव भारतीयों ने कभी नहीं छोड़ा। विकास के लिए अपनी भाषा को सम्मान सहित स्वीकारना होगा। प्रो. चितरंजन मिश्रा, गोरखपुर ने कहा कि हिन्दी ज्ञान की भाषा, रचना की भाषा और समाज की भाषा हो चुकी है किन्तु तंत्र की भाषा बनना शेष है। हिन्दी अब हमारे घर से बाहर हो रही है और बाज़ार की भाषा बन गयी है, मातृ भाषा के रूप में उसकी खोई जगह दिलानी देश के विकास के लिए जरूरी है। प्रो. अरविंद त्रिपाठी, गोरखपुर ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में अहिन्दी भाषी स्वातंत्र्यवीरों ने भी हिन्दी को सम्मान दिया और उसके विकास को देश के विकास के लिए आवश्यक माना। परवर्ती राष्ट्रीय नेताओं ने इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया। प्रो. बृजेश पाण्डेय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि हिन्दी के बाज़ार ने इसे वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित किया है। बाज़ार आज जन- जन की भाषा हिन्दी का प्रयोग करने के लिए विवश है। अनामिका प्रकाशन के निदेशक विवेक शुक्ला की अस्वस्थता से उनके पुत्र मानस कार्तिकेय ने उनका संदेश दिया। कहा कि सोशल मीडिया पर हिन्दी का वर्चस्व है। हिन्दी ही पूरे देश के लोगों से संवाद करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। अतुल द्विवेदी, निदेशक लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हिन्दी का बाज़ार इतना बड़ा है कि अंग्रेजी चैनलों को भी अपने कार्यक्रम में हिन्दी में लांच करने पड़े। इस अवसर पर उच्च शिक्षा के हिन्दी के विद्वान प्राध्यापकों प्रो. निवेदिता श्रीवास्तव, प्रो. संतोष कुमार सिंह, प्रो. अखिलेश कुमार राय, प्रो. जैनेंद्र कुमार पाण्डेय, प्रो. अजय बिहारी पाठक एवं प्रो. श्रीपति कुमार यादव का सम्मान भी किया गया। संचालन अभिजीत मिश्रा ने व धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. प्रमोद शंकर पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर डाॅ. पुष्पा मिश्रा, निदेशक, शैक्षणिक, डाॅ. अवनीश चन्द्र पाण्डेय आदि विवि परिसर एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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