भारत छोड़ों आंदोलन में रेवती का है महत्वपूर्ण योगदान
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
बलिया। सवा सौ वर्ष पुराने तथा सन 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने तथा पूरे देश में सबसे पहले 15 अगस्त को आजाद होने के बावजूद बीते 2023 में रेवती रेलवे स्टेशन को रेल प्रशासन द्वारा स्टेशन से हाल्ट घोषित कर दिया गया। जिसके चलते यह पूरी तरह से यात्री सुविधा विहिन स्टेशन बन कर रह गया है। यहां अप साइड का प्लेटफार्म खत्म कर दिया गया है। जिससे यात्रा करने वाले सवारियों को ट्रेन में चढ़ने उतरने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, वहीं वृद्ध, विकलांग व महिलाएं चढ़ने के प्रयास में आए दिन चोटिल होते रहते हैं। शेड के अभाव में यात्री धूप में खड़े होकर ट्रेन में चढ़ते उतरते है। यहां छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस, छपरा लखनऊ उत्सर्ग एक्सप्रेस, बलिया सियालदह तथा छपरा-वाराणसी इन्टरसिटी चार-बार एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव सुनिश्चित होने से छपरा-बलिया के बीच सुरेमनपुर व सहतवार को छोड़कर तीसरा सर्वाधिक आय वाला स्टेशन है। बावजूद यहां ठेका पर टिकट की विक्री की जाती है। ट्रेनों के आवागमन के उद्घोषणा तथा कंप्यूटरीकृ त टिकट की विक्री व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई है। पेयजल, शौचालय, साफ-सफाई का भी वेवस्था नहीं है बीते दिसंबर 23 में चलिया-सियालदह एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव सुनिश्चित होने पर पूर्व सांसद सलेमपुर रविन्द्र कुशवाहा की मौजूदगी में एडीआरएम वाराणसी द्वारा रेवती स्टेशन पर यात्री सुविधाओं के विस्तार तथा स्टेशन बहाल किए जाने के संबंध में आश्वासन दिया गया था। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल रेवती के अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता, प्रधान विसनपुरा अर्जुन बौहान, दत्तात्रेय पांडेय, वीर बहादुर पाल, आशुतोष सिंह लालू, ने अश्विनी वैष्णव के दूसरी बार रेलमंत्री का कार्य भार संभालने पर बधाई देते हुए रेवती रेलवे स्टेशन को पहले की तरह स्टेशन बहाल करते हुए यात्री सुविधाओं के विस्तार कराऐ जाने की मांग व की है।
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