पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
बलिया। एकाएक शनिवार की सुबह करीब नौ बजे आसमान में काले बादल छा गये और झमाझम करीब दो घंटे बरसात हुई। इससे उमस से तो राहत मिली, लेकिन शहर तालाब की शक्ल में तब्दील हो गया। सड़कों पर बने गड्डों में जलभरा के साथ ही सरकारी दफ्तरों के परिसर में पानी जमा हो गया।
निचले मुहल्ले के घरों और दुकानों में भी पानी घुस गया। कई मुहल्लों के लोग घुटने भर पानी हेलकर आते जाते दिखे। हालांकि बारिश खरीफ की मुख्य फसल धान के लिए संजीवनी है। शहर के कलक्ट्रेट परिसर, पुलिस लाइन और स्टेडियम में पानी भर गया। इसके साथ ही काजीपुरा, आवास विकास, आनंद नगर, रामपुर उदयभान, हरपुर चंद्रभान, बनकटा आदि करीब एक दर्जन मुहल्लों में जाने वाली गलियों में पानी भर गया वहीं सड़कों पर बने गड्ढों में पानी भर जाने से आते-जाते समय लोग फिसलकर चोटिल होते दिखे। शहर में कई जगह नाली का पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहने लगा, जिससे राहगीरों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। विकास भवन के पूरब तरफ से आफिसर कॉलोनी में जाने वाली सड़क पर घुटने भर पानी जमा हो गया है। जबकि इस मार्ग से होकर जिला स्तरीय कई अधिकारियों का आवागमन होता है। दूसरी ओर बारिश के कारण नाली का मलबा निकालकर जो सूखने के लिए रखा गया था फिर से नाली में गिर पड़ा, जिससे नालियों का बहाव रूक गया है। उधर, झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिल गये हैं। मनियर हिसं के अनुसार क्षेत्र में करीब दस दिनों बाद हुई झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया है। बारिश धान, मक्का बाजरा के लिए वरदान है।
खरीफ के लिए वरदान है श्लेषा की वर्षा
सावन के श्लेषा नक्षत्र में बारिश खरीफ के फसलों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। एक तो पहले से रोपे गये धान की फसलों की सोहाई कराकर किसान फसलों के बढ़वार के लिए यूरिया सहित अन्य उर्वरक का छिड़काव करते हैं। वहीं छूटे खेतों में भी धान की रोपाई करा लेते हैं। श्लेषा पर महाकवि घाध 'पूख पुनर्वसु चीर-फार, श्लेषा माधा कदई सार...' अर्थात श्लेषा में धान की रोपाई अच्छी तरह से खेत की जुताई और पलेवा लगाकर करना चाहिए।
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