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श्रम कानून का दुरुपयोग,कई संस्थानो में बाल मजदूरो का धड़ल्ले से प्रयोग

 पूर्वांचल राज्य, रामनगर अजय कुमार चौबे का रिपोर्ट

 वाराणसी के रामनगर क्षेत्र के इंडस्ट्रियल एरिया सहित कई अन्य उद्योग एवं प्रतिष्ठानों में भारत सरकार के श्रम कानून नीति का दुरुपयोग एवं तमाम प्रयासो के बावजूद बाल मजदूर एवं वयस्क मजदूरो का नीति के विरुद्ध प्रयोग किया जा रहा है। विदित हो की भारत सरकार का श्रम कानून के तहत बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु अलग-अलग कानून बनाया गया है । वहीं देश के विभिन्न राज्यों में बाल उन्मूलन पुनर्वास केंद्र का स्थापना किया गया है। इसके साथ ही विभिन्न जिला में श्रम कानून के तहत अधिकारियों को देखरेख करने के लिए नियुक्त किया गया है। ताकि श्रम नीति का दुरुपयोग रोकने एवं बाल श्रम कानून के तहत विभिन्न संस्थाओं में छापेमारी कर कानूनी कार्रवाई किया जा सके। लेकिन विभिन्न संस्थाओं के द्वारा अधिकारियों को चंद स्वार्थ के कारण मातहत कर दिया गया है। वहीं धड़ल्ले से श्रम कानून का दुरुपयोग तथा बाल श्रम का प्रयोग किया जा रहा है। विदित हो कि रामनगर के कई संस्थान, उद्योगों में कागजी खानापूर्ति कर सरकार के नीति के अनुसार कार्य किया जाता है। लेकिन धरातल पर जांच किया जाए तो 12 से 15 घंटा जबरदस्ती मजदूरों से श्रम कार्य कराया जाता है । इसके एवज में उन्हें आंशिक मूल्य मानदेय दिया जाता है।तथा मजदूरो का श्रम का जबरदस्त शोषण किया जाता है।ज्यादातर होटल एवं ईट भट्ठा, लाइन होटल,सहित विभिन्न उद्योगो सहित कई अन्य संस्थाओं में बाल मजदूर का प्रयोग किया जाता है। वहीं कई संस्थानों में अशिक्षित मजदूरों से 8 घंटा के बजाय 12 से 15 घंटा का कार्य लिया जाता है तथा नौ हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाता है।जबकी सरकार श्रम नीति के तहत कुशल, अर्ध कुशल और कुशल मजदूरों के लिए अलग-अलग मजदूरी निर्धारण किया गया है। 

 इसमें अकुशल श्रमिक को प्रतिमाह 6950 या प्रतिदिन रुपए 232, अर्द्ध कुशल श्रमिकों को प्रतिमाह रुपए 7807 या प्रतिदिन 260 रुपए, कुशल श्रमिकों का प्रतिमाह 9185 रुपए या प्रतिदिन रुपए 306 तथा उच्च श्रमिक को प्रतिमाह 10485 रुपए या 350 प्रतिदिन देय होंगे।

  श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, शहरी भारत में एक दिहाड़ी मजदूर (जिसके पास कोई निश्चित नौकरी नहीं है) के लिए, वित्तीय वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में दैनिक मजदूरी 385 रुपये प्रति दिन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 464 रुपये प्रति दिन हो गई है।

 कारखाना अधिनियम 1948 के अनुसार, प्रत्येक वयस्क (एक व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है) सप्ताह में 48 घंटे से अधिक और दिन में 9 घंटे से अधिक काम नहीं कर सकता है।अगर कोई भी सरकारी या गैरसरकारी संस्थाओ के द्वारा श्रम कानून का उल्लंघन किया जाता है। तो सख्त कानूनी कार्रवाई किया जाएगा।

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