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डॉक्टर पर नाबालिक स्टाफ से ऑक्सीजन लगवाने का आरोप, तीन दिन के मासूम की मौत

 


डॉक्टर पर नाबालिक स्टाफ से ऑक्सीजन लगवाने का आरोप, तीन दिन के मासूम की मौत

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ऐसे आँखे मुंद कर बैठे हैं , जैसे कि कुम्भकरण की नीन्द सौ रहा हैं

फ़र्ज़ी अस्पताल इस तरह गली मोहल्ले शहर देहात में देखने को मिलने लगे हैं जैसे कि बच्चों के खिलोने की दुकान सजा कर उनको लुभाया जाता हैं

पूर्वांचल राज्य ब्यूरो पीलीभीत ज़िला संवाददाता शबलू खा

पुरनपुर में जगह-जगह किराने की दुकानों की तरह अस्पताल खोल रखे हैं। जिसमें कई जगह तो नाबालिक और अनट्रेंड नर्सिंग व कंपाउंडर मरीज की देखरेख करते हैं, कुछ अस्पतालों में तो अनट्रेंड मुन्ना भाई भी मरीज का इलाज के साथ साथ ऑपरेशन तक कर देते है। क्या ऐसे लोगों को योगी सरकार के सख़्त आदेश का भी खोफ़ नही हैं। जबकि यह प्राइवेट अस्पताल संचालक मरीज़ के परिवार वालों को दवाई के बिल के नाम पर मोटी रक़म लेकर लूटने में भी कोई कसर नही छोड़ते हैं। मामला सोमवार का है जहां पर 3 दिन के नवजात की मौत का मामला सामने आया है। जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर अस्पताल के बाहर काफी हंगामा काटा। थाना माधोटांडा क्षेत्र के ग्राम सुखदासपुर निवासी जाहिद बेग ने अपनी पत्नी को कस्बे के एक अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां पर उस को तीन दिन पूर्व पुत्री का जन्म हुआ था। जिसके बाद नवजात के इलाज के लिए जाहिद बेग अपनी तीन दिन की बच्ची को लेकर पूरनपुर ब्लाक रोड पर स्थित युसूफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल लेकर गए। तो वहां पर डॉक्टर ने नवजात को भर्ती कर लिया। इसके बाद रविवार की देर रात परिजनों का आरोप है कि बच्चों का ऑक्सीजन रात को लगभग 3:00 बजे खत्म होने के बाद भी डॉक्टर द्वारा बच्चों को ऑक्सीजन नहीं लगाया गया। जिससे नवजात की मौत हो गई। वहीं मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा काटा साथ ही परिजनों का आरोप है कि युसूफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में नाबालिक स्टाफ से इलाज कराया गया, जिससे नवजात को मौत हुई है। जाहिद बेग ने पुलिस को दिए शिकायती प्रार्थना पत्र में बताया कि उसकी बच्ची के ऑक्सीजन लगी हुई थी और अस्पताल में नाबालिग स्टाफ मौजूद था। लेकिन डॉक्टर के न होने पर अस्पताल का स्टाफ भी बच्चे को देखने नहीं पहुंचा और उसका ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया। जिससे बच्ची की रात करीब 3:00 बजे मौत हो गई।

 कुम्भकरण की नींद सोय हुए हैं पीलीभीत स्वास्थ विभाग के अधिकारी

स्वास्थ विभाग की अदाकारी देखिये कि फ़र्ज़ी अस्पतालो व सर्जन बनकर झोला छाप ऑपरेशन कर रहें हैं! जिसके परिणाम नगर में आये दिन देखने को मिलते रहते हैं। कभी मासूम बच्चे के मृत्यु होने की ख़बर तो कभी महिला की मौत की ख़बर सुनने के बाद जहाँ आम जन का दिल काँप उठता हैं वही स्वास्थ्य विभाग कुम्भकरण की नीन्द सो कर बैखबर आँखे मुंद कर बैठा हैं ! इतना सब कुछ होने के बाद भी कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं हैं। जिस से मालूम होता हैं कि बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे फ़र्ज़ी अस्पतालों के ऐसे क़त्ल खानो के संचालको के कुछ विभागीय अधिकारियो से मिली भगत की ओर सवालिया निशान लगे दिखते हैं ! और स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाई करने के नाम पर लोगों को लोली पॉप दे कर शांत करने का काम कर रहे हैं ! जबकि यह फ़र्ज़ी अस्पताल लोगों के जीवन से सीधा सीधा खिलवाड़ कर रहे हैं। बताया तो यहाँ तक जाता हैं कि यह लोग बच्चे की जाँच के नाम पर खुलल्म खुल्ला भूर्ण हत्या करवा रहे हैं!



नगर के कई अस्पतालों का सीएमओ के यहां रजिस्ट्रेशन भी नहीं

सूत्रों की माने तो बहुत से अस्पताल का सीएमओ के यहाँ रजिस्ट्रेशन तक नहीं हैं और अस्पताल मे मौजूद डॉक्टर झोला छाप हैं जिनके पास कोई डिग्री व तजुर्बा वगैरह नहीं हैं !  और अपने अस्पतालों के बाहर, बाहरी डॉक्टरो के बड़े-बड़े नाम बोर्डो पर लिखवा रखे हैं। जबकि यह सिर्फ दिखावा है। नाम ना छापने की शर्त पर लोगों ने बताया कि यहाँ बच्चों के लिंग की जाँच पर भूर्ण हत्या भी की जाती हैं! दूरभाष पर बात करने का प्रयास भी अधिकारियो को करते हैं तो सम्पर्क नही हो पाता ! उपरोक्त कथन से मालूम होता हैं कि फ़र्ज़ी झोला छाप डॉक्टर के स्वास्थ विभाग के कुछ अधिकारियो से घने संबंध हैं! और विभागीय अधिकारीयों की शै पर ही उक्त झोला छाप डॉक्टर इंसानी जीवन से सीधा सीधा खिलवाड़ कर रहे हैं! यदि विभागीय अधिकारियो ने झोला छाप डॉक्टरो पर जल्दी कड़ी कारवाई ना की तो ना जाने कितने लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा ! वही इन झोलाछाप और अवैध अस्पतालों का धंधा चलाने में कुछ सरकारी आशाए भी मरीज को सरकारी अस्पताल न पहुचा कर कुछ कमिशन के चक्कर में इनके हवाले कर देती हैं। इस कारण फर्जी अस्पताल संचालक दिन प्रतिदिन मोटी रकम बटोर कर लखपति बनते जा रहे हैं।

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