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काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट' ने कराया सामूहिक यज्ञोपवित संस्कार


पूर्वांचल राज्य ब्यूरो वाराणसी

मुकेश पाण्डेय की रिपोर्ट

सोमवार प्रातः आठ बजे से शाम चार बजे तक संपूर्ण विधि विधान से यज्ञोपवित संस्कार का आयोजन किया गया जिसमें मुंडन,कर्णभेद गायत्री दीक्षा, उपनयन और वेदारंभ संस्कार आदि से वैदिक विधि से संपन्न कराया गया


श्रीअन्नपूर्णा ऋषिकुल के यज्ञशाला में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार  आयोजन किया गया। इस दौरान 500 बटुकों का उपनयन संस्कार हुआ। 

शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा ऋषिकुल के प्रांगण  में बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार हुआ आचार्य,पंडित और पुरोहितो  के आचार्यत्व में हुए सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार के दौरान वेदपाठी पंड़ितों के सामूहिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान गणेश, षोडश मातृका, ब्रह्मा, नवग्रह और वेद माता गायत्री माता का पूजन हुआ। अग्नि देवता का पूजन हुआ। बटुकों ने मंत्रोच्चारण के बीच हवन में आहुतियां दीं। यज्ञाचार्य की ओर से नव विप्रजनों को यज्ञोपवीत एवं गुरु मंत्र दिया गया। 

मुख्य न्यासी महंत शंकर पूरी व अन्य गणमान्यों ने सभी बटूकों को आशीर्वाद दिया, इस अवसर पर महंत जी ने बताया कि ग्रंथों का अध्ययन से पहले संस्कार जरूरी जनेऊ को उपवीत, यज्ञ सूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मणिबंध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है हमारी भारतीय संस्कृति में यज्ञोपवीत संस्कार 16 संस्कारों के अंतर्गत एक अनिवार्य संस्कार है. हमारे संस्कृत विद्यालय में यज्ञोपवीत संस्कार अति अनिवार्य इसलिए है क्योंकि यहां वेद पाठ, धर्म ग्रंथ, पौराणिक ग्रंथ, सनातन धर्म ग्रंथो का सांगोपांग अध्ययन कराया जाता है 

सांयकाल में आशीर्वाद गोष्ठी कार्यक्रम हुआ सायं चार बजे आशीर्वाद गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने - अपने विचार रखते हुए कहा कि उपनयन संस्कार से बटुकों का आंतरिक,नैतिक चारित्रिक विकास से जुड़ा हुआ होता है। अध्यक्षता पूर्व मंत्री श्रीनीलकंठ तिवारी ने किया और कार्यक्रम संयोजक व संचालन प्रो.रामनारायण द्विवेदी ने किया।

विशेष सहयोग में ऋषिकुल के प्राचार्य आशुतोष मिश्रा,प्रदीप श्रीवास्तव, धीरेन्द्र सिंह, राकेश तोमर,समेत मंदिर परिवार रहा।

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