पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, वाराणसी (मुकेश पाण्डेय की रिपोर्ट)
वाराणसी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया था। किसानों के अंदर नाराजगी जरूर देखने को मिली है। किसानों ने बताया कि खेती अब लाभ का धंधा नहीं रह गई है। खेती बाड़ी में लागत के अनुरूप लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस पूरे विवाद पर अपना पक्ष रखते हुए वाराणसी विश्वेश्वरगंज मंडी स्थित वाराणसी किराना व्यापार समिति के उपाध्यक्ष अशोक कसेरा बताते हैं कि आज जब पुरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है लेकिन ये उपलब्धि यहां के विपक्षी पार्टी कैसे हजम करते उन्हे तो मोदी के रास्तों में दुश्वारियां पैदा करना है। इसके लिए किसान को भड़का कर किसान आन्दोलन प्रायोजित कर रखा है। क्या किसान वास्तव में अन्नदाता है ? अपने द्वारा किया गया मेहनत का पैसा वसूली नही करते। ये गम्भीर बात है MSP की मांग बिल्कुल नाजायज है आज सरकार से दबाव बना कर अपनी नाजायज मांग मनवा ले ताकि वे वही अनाज पैदा करे जिस पर सरकार उन्हे सब्सिडी देती रहे मलाई खाते रहे। आज समय बदल गया है किसान अपनी उत्पाद बेचने से पहले कई कई मंडियों में भाव चेक करते है जहां उन्हे ज्यादा भाव मिलता है वही अपनी उत्पाद बेचते है। आज उनके पास हर सुख सुविधा उपलब्ध है कुछ किसान अवश्य कमजोर और गरीब है पर सरकार का फोकस किसानो पर अवश्य रहता है उन्हे नाना प्रकार से सरकार द्वारा अनुदान और सहायता उपलब्ध है। किसान आन्दोलन पूर्णरूप से प्रायोजित और नाजायज है। आन्दोलन के पीछे सिर्फ और सिर्फ सरकार को हटाना है लेकिन जनता इनके सारे मंसूबों को भलीभाँति जानती है।
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