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कलम के योद्धा....!! जिसने बिना हथियार उठाए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ छेड़ दी जंग

RTI को हथियार बना कर भ्रष्टाचारियों की नीद हराम कर दी




पूर्वांचल राज्य ब्यूरो,  चंदौली (रुद्र पाठक की रिपोर्ट)

चंदौली। चंदौली जनपद के एक ऐसे कलम के योद्धा के बारे में हम बात करने जा रहे है जिन्होंने कलम को हथियार बना कर सैकड़ों भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अकेले जंग छेड़ दी। जी हां हम बात कर रहे हैं सकलडीहा तहसील के ग्राम भलेहटा के रहने वाले दीपेश सिंह कि, जिनकी बचपन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि हो गई ।प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त कर ,उच्च प्राथमिक शिक्षा भी सरकारी स्कूल से प्राप्त किया,ततपश्चात धराव इंटरमीडिएट कॉलेज में कक्षा 9 में प्रवेश लिया। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही धराव इंटर कॉलेज को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक संस्था घोषित किया तो उक्त कॉलेज का छात्र होने के नाते इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन कर दिया ,कॉलेज को लगातार 3 महीने तक बंद रखा, जब तक की अल्पसंख्यक का दर्जा रद्द नहीं हो गया।12वीं कक्षा के दौरान ही इस आंदोलन में अपने संगठन कौशल और अपनी वाणी से आम जनमानस को तत्कालीन सरकार की तुष्टिकरण की नीति के विरुद्ध खड़ा कर दिया तत्पश्चात उच्च शिक्षा हेतु बनारस के उदय प्रताप कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया और 2008 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्यार्थी विस्तार के नाते कार्य किया। पढ़ाई के दौरान ही गोरक्ष पीठ से लगाव हो गया और योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी के लिए 2009 में कार्य किया और चंदौली जनपद के प्रथम महामंत्री का दायित्व निभाते हुए गांव-गांव धर्म संस्कृति के प्रचार से सनातन धर्मावलंबियों में उत्साह का संचार किया। सन 2010 में सूचना का अधिकार कानून जब धीरे-धीरे आम लोगों की जानकारी में आने लगा था तब डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा देकर नेता बने शैलेंद्र सिंह के संपर्क में आये और भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक लंबी लड़ाई छेड़ दी उसके बाद लगातार सूचना के अधिकार का प्रयोग कर भ्रष्टाचारियों को बेनकाब कर दंडित कराने का वीणा उठाया ,इसके क्रम में चंदौली जनपद के मुख्य विकास अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, विभिन्न ब्लॉकों के खण्डविकास अधिकारी, एक दर्जन के लगभग ग्राम पंचायत सचिव, मंडलीय अभियंता और अन्य कई पदस्थ जन सूचना अधिकारियों को राज्य सूचना आयोग से जुर्माना कराकर दंडित कराया। इस दौरान लगभग 250 से अधिक प्रार्थना पत्र विभिन्न विभागों में दिए, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी इस लड़ाई में दीपेश सिंह ने सांसदों विधायकों तक को नहीं बख्शा एक सांसद के अधूरे कार्य की जांच करा कर कार्यदायी संस्था से भुगतान के 8 वर्ष बाद ₹50000 की सरकार को वापस वसूली कराई तो एक विधायक की निधि से निकाले गए रू 537000, नौ साल बाद शासन को वापस कराया। वाराणसी सिंचाई विभाग में 1.5 करोड़ से अधिक का घोटाला पकड़वाकर भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार किया तो चंदौली के उद्यान विभाग में हुए घोटाले में जिला उद्यान अधिकारी को दंडित कराया इस दौरान दीपेश सिंह ने अपना अध्ययन भी जारी रखा और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से B.Ed की डिग्री प्राप्त की।पुर्वांचल के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से क़ानून मे  स्नातक व अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से विधि में परास्नातक की शिक्षा पूर्ण की।दीपेश सिंह की जंग पढ़ाई के साथ साथ जारी रही  दीपेश के  प्रयासों से चंदौली जनपद में कागजों पर होने वाले कार्य लगभग बंद हो गए।यही नहीं 2022 में तत्कालीन विधायक दीनदयाल नगर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिससे राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा हो गई हालांकि आज तक उक्त मामले की जांच नहीं हो पाई है। इसके अतिरिक्त कई शिक्षा माफियाओं के खिलाफ भी वर्तमान में दीपेश सिंह अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले युवा दीपेश सिंह से संबंधित जानकारी लेते रहते है।सच कहे तो युवाओं के लिए आदर्श बन चुके, दृढ़ इच्छाशक्ति  के धनी दीपेश सिंह 2015 के बाद युवाओं के लिए आईकान बन कर जनपद में उभरे।लोगो की माने तो बीच बीच में भ्रष्टाचारियों द्वारा जान से मारने तो कभी हाथ पैर तोड़ देने की तो कभी फर्जी मुकदमे की धमकी मिलती रहती थी,लेकिन अपनी धुन ने मस्त दीपेश इस जंग को अपनी दिनचर्या बना चुके हैं, कहते हैं भ्रष्टाचारी और अपराधी कायर होते हैं,इनसे कभी नही डरना चाहिए,लेखनी और सूचनाओं से संबंधित विषयों से युवाओं की मदद कर रहे हैं दीपेश सिंह कहते हैं कि यदि सरकारों ने सही ढंग से कार्यवाही की होती तो अब तक कई भ्रष्टाचारी जेल में होते और पैसे की रिकवरी भी लगभग 100 करोड़ में होती।

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