सरकारी जमीन से कब्ज़ा हटा पाने में फिसड्डी साबित हो रही तहसील व जिला प्रशासन
खलिहान और पोखरे की जमीनों पर बनवा दिया कामर्शियल काम्प्लेक्स
समाजवादी पार्टी का कार्यालय भी पोखरे की जमीन पर फिर भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोई असर नहीं
संतकबीरनगर। खलीलाबाद नगरपालिका परिषद अंर्तगत गड़ही, पोखरा, भीटा और खलिहान जैसी सरकारी जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जा करके तमाम प्रतिष्ठान, शॉपिंग मॉल, होटलों का निर्माण करा लिया है मगर जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं और पर्दे के पीछे से संरक्षण देने में लगे हुए हैं।समय माता मंदिर के निकट पोखरे के सुंदरीकरण में जब बाधक बना अवैध कब्जा तो तहसील खलीलाबाद से राजस्व विभाग की टीम ने पैमाइश किया और तब परत दर परत अवैध कब्जे की पोल खुली। आनन-फानन में हल्का लेखपाल ने तहसीलदार खलीलाबाद के न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया और फिर तत्कालीन तहसीलदार ने अवैध कब्जा हटाने और जुर्माना लगा कर वसूली का आदेश दिया लेकिन अवैध कब्जेदार। जिलाधिकारी के न्यायालय में अपील दाखिल कर दिया जिसमें अभी एक महीना पहले पत्रावली पुनः तहसीलदार के न्यायालय में वापस भेंज दिया गया और मामला फिर एक बार जहां से चला था वहीं पहुंच गया। जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण निर्णय पोखरा, भीटा,गड़ही और खलिहान की जमीनों पर अवैध कब्जा के संबंध में दिया है लेकिन जनपद के अधिकारियों पर उसका कोई असर नहीं है।
खलीलाबाद नगरपालिका क्षेत्र में हुए कुछ अवैध कब्जे के बारे में पेश है एक रिपोर्ट .....
मामला 1: खलीलाबाद के भेलीमंडी में बनी नगरपालिका की दुकान गड़ही की भूमि में नगरपालिका ने बनवाया था और उसका आवंटन दूकानों के लिए कर दिया जिस पर आवंटी कब्जा है राजस्व विभाग ने नगरपालिका के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई करने की बजाय आवंटियों के खिलाफ कर दिया और नगरपालिका पर राजस्व विभाग ने नरमी दिखाई जिसको लेकर आवंटियों में आक्रोश है।
वहीं बंजरिया में खलिहान की जमीन पर बनी नगर पालिका की दुकानों पर बेदखली की कार्यवाही अवैध कब्जेदार नगरपालिका खलीलाबाद पर की गई ,और 80 लाख का जुर्माना भी लगाया गया,मगर तत्कालीन तहसीलदार ने यह आदेश पारित कर दिया की नगरपालिका के अंतर्गत बेदखली का क्षेत्राधिकार नहीं है और मामले को रफा दफा कर के सरकारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
मामला 2: समय माता मंदिर खलीलाबाद के बगल के पोखरा गाटा संख्या 1522 के अवैध कब्जेदारो जिनकी संख्या लगभग 22बताई गई ,इन पर राजस्व विभाग ने कार्यवाही किया और बेदखली आदेश भी पारित किया,और जुर्माना भी लगाया मगर संत कबीर नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने पोखरे की भूमि पर हुए बेदखली आदेश को निरस्त कर दिया ,और फाइल को तहसीलदार खलीलाबाद को पुनः सुनवाई के लिए वापस भेज दिया।मगर 1महीना बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही शुरू नही की गई, ये बेदखली बाद भी गाटा 1522के आधे कब्जेदारों पर ही किया गया ,पोखरा के पश्चिम तरफ के अवैध कब्जेदार नगरपालिका खलीलाबाद और अन्य पर कोई कार्यवाही ही नही किया गया और सरकार के राजस्व का भारी नुकसान किया गया। यही नहीं इसी गाटे में सब्जी मंडी रोड पर नगरपालिका ने कामर्शियल काम्प्लेक्स बनवा कर उसका आवंटन दूकानों के लिए किया है इसी काम्प्लेक्स में समाजवादी पार्टी को कार्यालय के लिए भी नगरपालिका ने आबंटित किया है लेकिन राजस्व विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की यानी पोखरे की जमीन पर अवैध कब्जे को हरी झंडी दे दी गई।
मामला 3: खलीलाबाद के समय माता मंदिर के सामने बने गाटा संख्या 401,पोखरा, भीटा की भूमि का सीमांकन एक साल पूर्व ही राजस्व विभाग की टीम ने तहसीलदार के आदेश पर किया और 39 अवैध कब्जेदारों के खिलाफ रिपोर्ट तैयार हुई मगर सभी 39 अवैध कब्जेदारो को संरक्षण देकर बेदखली की कार्रवाई हेतु वाद दायर नहीं किया गया जिससे अवैध कब्जे वालों की बल्ले-बल्ले हो गई सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ।
मामला 4: खलीलाबाद के मुख्य मार्ग पर गाटा संख्या 1639,305 के अवैध कब्जेदारों पर कार्यवाही का आदेश पूर्व एसडीएम अजय त्रिपाठी ने पारित किया,मगर अब पत्रावली ही नहीं मिल रही है जिसके कारण अवैध कब्जे को प्रशासन नहीं हटवा पा रहा है।
इस तरह नगरपालिका क्षेत्र खलीलाबाद में सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटवाने का सीएम के अभियान पर राजस्व विभाग के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं यही नहीं खलीलाबाद तहसील और जिले पर गठित एण्टी भूमाफिया टास्क फोर्स निष्क्रिय हो गया है इसलिए नगरपालिका खलीलाबाद की बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जा निरंतर बढ़ता जा रहा है और अधिकारी सरकारी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं तथा अपना कानून ,और काम करने का तरीका अपना रहे हैं और अवैध कब्जेदार दुधारू गाय बनकर इन अधिकारियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं।
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