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जो बीत गया वो पल फिर वापस ना आएगा, खट्टे मीठे यादों के साथ बातों में दोहराया जायेगा

 



(प्रधान संपादक ✍🏻  कृष्णा पंडित की कलम से)



जो बीत गया वो पल फिर वापस ना आएगा, खट्टे मीठे यादों के साथ बातों में दोहराया जायेगा

कुछ सपने पूरे हो न सके ,कुछ सपनों को उड़ान भरने हैं, कुछ पूरा होकर बिखर गए ,कुछ पूरा होकर निखर गए

जिनकी अरमानों ने अंगड़ाई ली, उनकी मेहनत कसरत की ओर बढ़ी, कुछ मिला नहीं कुछ मिलने की उम्मीद जगी और निकल पड़ी

जिसको प्रकृति का सौगात मिला, वह अपनी दुनियां में व्यक्तित्व बना, कुछ दौड़ रहे कुछ पाने को, कुछ दौड़ रहे खो जाने को

स्थिर गंगा अविचल होकर चली, अयोध्या राम लाल के दर्शन पाने को, जो बीत गया वो दौर ही था वीरों के सिर शौर्य ही था

कुछ प्रीत की भेंट चढ़ा सबमें ,कुछ रीत को अंगीकार किया, मानव जीवन संघर्षों का जिसने माना जीवन में यह..

वह दौड़ रहा कुछ पाने को, मिट जाने को तैयार रहा एक नया इतिहास बनाने को..

सत्य अहिंसा का सेवन ,मन में श्री राम सुमिरन का ध्यान लिए, रामलाल की गूंज से ,सजी अयोध्या हर घर में अपने राम लिए...

कुछ आते हैं इतिहास बनाने को, कुछ इतिहास मिटाने को..जो मिट ना सका वो भारत की, मिट्टी की है अपनी खुशबू

बरसों तक लोग मिटाते रहे ,जो डटा रहा वह भारत है..कण कण रग रग में बसा वसंत ,सबकी सांसों की आहट है..

है धरा की चादर लिपटी ऐसे, हर घर में प्यारा भारत है...

जो बीत गया वह पल फिर वापस ना आएगा, खट्टे मीठे यादों के साथ बातों में दोहराया जाएगा

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