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नेपाल को गन्ना बेच रहे मजबूर किसान



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो,महराजगंज

महराजगंज। चीनी मिल बंद होने के कारण किसान औने-पौने दाम पर गन्ना बेचने के लिए मजबूर हैं। जिले में सिसवा चीनी मिल ही संचालित है। नए सत्र में जेएचवी शुगर मिल गड़ौरा के चलने का अभी आसार नहीं दिख रहा है। ऐसे में पहले से ही कर्ज में दबे किसान अब नए सत्र के गन्ने की पेराई को लेकर चिंतित हैं। नई खेती के लिए पैसा नहीं होने से कुछ किसान अपने गन्ने को भाठ क्षेत्र के अलावा नेपाल के क्रेशर पर बेचना भी शुरू कर दिया है। नेपाल के क्रेशर मालिक गन्ने का मूल्य भारतीय मुद्रा में दो सौ से 250 रुपये दे रहे हैं। पिछले वर्ष 2022-23 में 3023 हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोई गई थी। वहीं वर्तमान वर्ष 2023-24 में घटकर 2463 हेक्टेयर हो गई है।

जिम्मेदारों की मनमानी के चलते किसान नियम ताक पर रखकर भारत का गन्ना नेपाल भेज रहे हैं। गन्ना किसानों का रुख जहां नेपाल में स्थित चीनी मिल की तरफ है तो  वहीं किसानों की मजबूरी का पूरा फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। माना जा रहा है की इससे न केवल किसान तबाह हो रहे हैं, बल्कि भारतीय अर्थ व्यवस्था पर भी चोट पहुंच रही है। नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों का गन्ना नेपाल जा रहा है। नेपाल क्रेशर मालिक और बिचौलियों की आड़ में यह खेल चल रहा है। भारतीय क्षेत्र में गन्ने की सरकारी मूल्य प्रति क्विंटल 350 रुपये है जबकि नेपाल में बिचौलिए भारतीय गन्ने को प्रति क्विंटल दो सौ से 250 रुपये के बीच दे रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक जिम्मेदारों की मनमानी के चलते जिले में गन्ना का रकबा भी कम होता जा रहा है।

क्या कहना है अरविंद पांडे मिश्रवलिया का...

चीनी मिल न चलने की वजह से गन्ने को औने-पौने दाम पर बेचना किसानों की मजबूरी बन चुकी है। क्रेशर पर न तो गन्ने का उचित मूल्य मिल रहा है और न ही नकदी व्यवस्था है। ऐसे में थक हारकर बिचौलियों के हाथों गन्ना बेचने को मजबूरी हैं।

क्या कहना है शंभू मद्धेशिया का...

चीनी मिल बंद है ऐसे में बाहर के शुगर मिलों को क्षेत्र का गन्ना अलाट किया गया है। अलाट लेने के बाद भी अब तक किसी चीनी मिल ने न तो पर्ची जारी की है और न ही सेंटर लगाकर तौल की व्यवस्था की है। ऐसे में किसानों के सामने औने-पौने दामों में बेचने की मजबूरी हो गई है।

क्या कहना है रामचंद्र का....

जेएचवी शुगर मिल की ओर से बकाया मूल्य भुगतान होने के बाद भी चलने के कोई आसार नहीं दिख रहे है। मिल न चलने की वजह से गन्ना किसानों का कोई पूछनहार नहीं है। नेपाल में गन्ने का मूल्य कुछ कम ही तो क्या नकद मिल रहा है। ऐसे में नेपाल गन्ना भेजने की मजबूरी है।

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