स्मार्ट फोन से बच्चो का दिमाक व आंख हो जाता है कमज़ोर
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो,महाराजगंज
घुघली(रिपोर्ट पलटू मिश्रा)
ज्यादातर स्मार्टफोन के प्रयोग से बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो रहे है।अत्यधिक फोन का प्रयोग करने से वे सामाजिक रूप से भी अलग होते नजर आ रहे हैं जिसका बच्चो में परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आम लोगों से बातचीत करने में उनको हिचकिचाहट उत्पन्न होने लगता है। वे एक दूसरे से अपनी बातें नहीं कह पाते, न तो बाहर खेल कूद पाते हैं जिससे उनका मानसिक विकास रुक गया है क्योकि स्मार्ट फोन से बच्चो का दिमाक व आंख कमजोर हो जाता है तथा उनमें ट्यूमर व सर्वाइवल का खतरा बढ़ जाता है जिससे धीरे-धीरे उनको समाज से डिप्रेशन महसूस होने लगता है। एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि बच्चों के खराब स्लीपिंग पैटर्न देर रात तक फोन प्रयोग करना, और लेट रात तक सोना जिससे शारीरिक गतिविधियों में कमी आ जाती है और बच्चों के परफॉर्मेंस पर कमी देखने को मिलती है ।
इस बाबत एस पी ब्रेन सेंटर के साइकोलॉजिस्ट व मानसिक रोग सलाहकार डाक्टर शुभम पाण्डेय ने कहा कि कई सारे अध्ययनों में देखा गया है कि बच्चों के ज्यादा फोन यूज करने से बहुत सारे साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स जैसे कुछ याद ना रख पाना, बहुत ज्यादा गुस्सा आना,चीजों को भूल जाना,लोगों से दूर-दूर रहना नींद ना आना,पढ़ाई में ध्यान का ना लगना आदि कई सारी समस्याएं होती हैं ।
आजकल बच्चों के साथ होने वाले साइबर बुलीइंग की समस्या को देखा जा रहा है जिससे बच्चे कुछ कह नहीं पाते धीरे-धीरे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।डा.शुभम पाण्डेय ने आगे बताया कि यदि ऐसे कुछ लक्षण मिलते है तो तुरंत मानसिक रोग के डॉक्टर से सलाह ले ।
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