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शहीदे आजम भगत सिंह को मंच पर जीवंत किया वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी

 


पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, बलिया (ब्यूरो प्रभारी राजीव शंकर चतुर्वेदी की रिपोर्ट)

बलिया। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था संकल्प द्वारा भगतसिंह की जयंती के अवसर पर श्री मुरली मनोहर टाउन इंटर कॉलेज के सभागार में शहीदे आजम भगत सिंह की एकल नाटक प्रस्तुति की गई।  इसे प्रस्तुत किया अभिनेता व  निर्देशक आशीष त्रिवेदी ने । चालीस  मिनट की इस शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया।  भगत सिंह के जीवन के हर पहलू को शानदार तरीके से मंच पर जीवंत करते इस नाटक में दिखाया गया कि भगत सिंह पैदा नहीं होते बल्कि भगत सिंह को भगत सिंह परिस्थितियां बनाती हैं ।‌ पढ़ाकू भगत सिंह , लड़ाकू भगत सिंह और जीवन की रंगीनियों से ओत प्रोत भगत सिंह के जीवन को  सिलसिलेवार तरीके से अभिव्यक्त  करता यह नाटक दर्शकों के मन  पर गहरा प्रभाव छोड़ गया। नाटक में कई ऐसे दृश्य आए जब दर्शक अपने आंसूओं को रोक नहीं पाए । नाटक में  यह  भी दिखाया गया कि भगत सिंह के विचार आज भी कितने प्रासंगिक हैं। नाटक का एक संवाद " आजादी जरूरी नहीं आजादी के बाद का हिंदुस्तान जरूरी है । कहीं ये हमें गलत तरीके से मिल गई तो कहने में संकोच नहीं कि आज से सत्तर साल बाद ही हालात ऐसे के ऐसे  रहेंगे । गोरे चले जाएंगे भूरे आ जाएंगे कालाबाजारी का साम्राज्य होगा। घूसखोरी सर उठा के नाचेगी । अमीर और अमीर होते जाएंगे गरीब और गरीब ।  इस देश में धर्म जाति और जुबान के नाम पर तबाही का ऐसा नंगा नाच शुरू होगा जिसको बुझाते बुझाते आने वाली नस्लों और सरकारों की कमर टूट जाएगी।" दर्शाता है कि भगत सिंह की दृष्टि भविष्य के प्रति कितनी साफ थी । नाटक में संगीत दिया सोनू साहनी , कृष्ण कुमार यादव मिट्ठू, आनन्द कुमार चौहान, ने ध्वनि एवं प्रकाश अनुप पांडेय, राहुल चौरसिया सेट डिजाइन किया आलोक यादव ने । नाट्य परिकल्पना और निर्देशन स्वयं अभिनेता आशीष त्रिवेदी का रहा। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ अखिलेश सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार अशोक जी , साहित्यकार शिवजी पाण्डेय रसराज , डा कादम्बिनी सिंह , वन्दना गुप्ता, डा मंजीत सिंह, एडवोकेट रणजीत सिंह, आशुतोष पाण्डेय, शैलेन्द्र मिश्र, डा इफ्तेखार खान अशोक कंचन जमालपुरी , आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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