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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर डॉ. शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन टीम द्वारा समुदाय के लोगो और किशोरियो को किया जागरूक

 



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, वाराणसी 

वाराणसी। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर वरुणापार के दीनदयालपुर में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संस्था की कार्यक्रम निदेशक डॉ. रोली सिंह ने कहा कि जीवन में संघर्षो से ही मिलती है  सफलता। किंतु किसी कार्य में असफलता का मतलब जीवन को समाप्त कर लेना नहीं, बल्कि उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दुगुने वेग से प्रयास करने की आवश्यकता है। 

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, आत्महत्या की वजह से हर साल दुनिया भर में आठ लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते देते हैं। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर 15-29 साल के युवा शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा उम्र के लोग हैं।  कोरोना काल  में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खाया ऐसे बच्चे डिप्रेशन में जा सकते हैं। परीक्षा में कम मार्क्स आना, प्रेम प्रसंग में धोखा खाना आदि कुछ ऐसे मसले हैं जिसमें युवा अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचते और आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद किशोरियों को और समुदाय के लोगों को समझाया कि किसी भी परिस्थिति में कभी गलत कदम न उठाएं। साथ ही अगर आपके आसपास भी कोई व्यक्ति ऐसी मनःस्थिति से गुजर रहा है, तो उसका सहयोग जरुर करें। कार्यक्रम का संयोजन सन्दर्भ व्यक्ति दीपिका भट्टाचार्य ने किया। इस अवसर पर मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता  सुलेखा पटेल, कार्यक्रम प्रबंधक दीक्षा सिंह, सन्दर्भ व्यक्ति गुलशन आरा, स्वयंसेवक प्रीति श्रीवास्तव तथा स्थानीय किशोर किशोरियां मौजूद थे ।

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