पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
महराजगंज/घुघली पल्टू मिश्रा
जनपद महराजगंज केभिटौली थाना अंतर्गत ग्राम सभा सिसवा राजा में श्री विष्णु महायज्ञ आयोजन के चौथे दिन रामलीला के द्वारा सीता स्वयंवर का मंचन किया गया।लोगो को दर्शाया गया कि जो भी इससे विवाह करेगा, वह भी साधारण पुरुष नहीं होना चाहिए। इसी लिए ही जनक जी ने सीता जी के स्वयंवर का आयोजन किया था और यह शर्त रखी थी कि जो कोई भी इस शिव-धनुष को उठाकर, तोड़ेंगा, सीता जी उसी से विवाह करेंगीं । उस सभा में भगवान श्री राम ने अंततः शिव-धनुष तोड़ कर सीता जी से विवाह किया था। धनुष का नाम तथा मर्यादा रामलीला के माध्यम से बताया गया कि सीता स्वयंवर में भगवान राम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया था।इस धनुष का नाम पिनाक था।यह धनुष राजा जनक के पास रखा हुआ था।इस धनुष को देवशिल्पी विश्वकर्मा ने बनाया था।यह धनुष एक विशालकाय लोहे के संदूक में रखा हुआ था।इस संदूक में आठ बड़े-बड़े पहिये लगे हुए थे।इस धनुष को पांच हज़ार लोगों ने किसी तरह ठेलकर लाया था.
धनुष के संचालन की विधि राजा जनक, माता सीता, आचार्य श्री परशुराम और आचार्य श्री विश्वामित्र को ही पता थी। जब राम ने धनुष को तोड़ा, तो भयंकर कठोर ध्वनि सब लोकों में छा गई।धनुष के टुकड़े का एक हिस्सा धरती पर गिरा, जो नेपाल में स्थित है।इस मंदिर को धनुषा धाम के नाम से जाना जाता है।
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