पूर्वांचल राज्य ब्यूरो महाराजगंज
घुघली पल्टू मिश्रा
महराजगंज,हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है।हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती पर्वत राजा हिमवान की पुत्री थीं। इस प्रकार, उन्हें गिरिजा के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'पहाड़ से उत्पन्न हुआ। ' मां पार्वती का ही एक रूप देवी दुर्गा है।इन नौ दिनों में लोग देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इन स्वरूपों में मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री शामिल हैं। प्रत्येक रूप महत्व रखता है और देवी के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाकर कंजक पूजन अवश्य करें। ऐसा करने से सभी तरह की अनहोनी दूर हो जाती है और माता के आशीर्वाद से सभी प्रकार की ऋद्धियां और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।पर्व के दौरान माता के भक्त नौ दिनों तक देवी के नौ अलग-अलग रूप की पूजा करते हैं. पहले दिन माता शैलपुत्री, फिर ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री और फिर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाता है।
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