पूर्वांचल राज्य समाचार,महराजगंज
उपसंपादक ठाकुर सोनी व पूर्वी उ०प्र० ब्यूरो प्रभारी फणींद्र मिश्र
कैसे कह दूँ कि मैं कभी खुद से नहीं मिला, बात तो यह है कि मेरे दोस्त से मिलने के बाद मैंने जाना कि वो मेरा और मैं उसका साया हूँ। दोस्ती की कोई कीमत नहीं होती, दोस्ती में कोई मतलब नहीं होता, इस बात को बड़े अच्छे से जानता है मेरा प्यारा दोस्त। हर एक नई सुबह में वो मेरी आँखों के देखे सपनों को पूरा करने के लिए निकल जाता है, उसकी आहाट ही मुझे मेरे वजूद से मिलाती है। उसके बिना मैं खुद की कल्पना तक नहीं कर सकता, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरा अस्तित्व मेरे दोस्त की खुशियों पर टिका हुआ है,वो दोस्ती ही क्या जिसमे आप जैसा यार न हो,
वो यार ही क्या जिसके लिए हमारे दिल में प्यार न हो,
वैसे तो हम सब कुछ लुटा सकते हैं,
और वो जिन्दगी ही क्या जो दोस्त पर जान निसार न हो
मेरी बातों को शब्द पूरे होने से पहले जान जाता है, मेरे सुख-दुःख को मेरा दोस्त अच्छे से पहचान जाता है। उसका मजाकिया अंदाज़ मुझे तकलीफों से लड़ने के लिए प्रेरित करता है, उस बातूनी का बेख़ौफ़ बोलना ही मुझ बेजान में जान फूँक जाता है। मैं सोच भी नहीं सकता कि मेरे ऐसे कौन से अच्छे कर्म रहे होंगे, जो मेरी उससे दोस्ती हुई। ज़माने से थोड़ा अलग है मेरा दोस्त, जो किसी को भी तकलीफ में देखकर खुश नहीं रह सकता है। मेरा दोस्त मेरी पहचान है, मेरा दोस्त ही जान है। कैसे कोई इंसान रह सकता है दोस्ती के बिना कभी, बस यही सोचकर मैं घबरा जाता हूँ क्योंकि कोई इंसान अपने साए के बिना नहीं रह सकता है।
0 Comments