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लकड़ी माफिया तथा अधिकारियों के मिली भगत से सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला



पूर्वांचल राज्य ब्यूरो महाराजगंज

घुघली


महराजगंज जिले के सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग में भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों का मामला गंभीर होता जा रहा है। हाल ही में लक्ष्मीपुर रेंज के अचल गढ़ वीट में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे वन विभाग के अधिकारियों द्वारा लकड़ी माफिया से धन की उगाही की जा रही है। प्रशासनिक व्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़का दिया है।

सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग के विभिन्न रेंजों में शासनादेश के विरुद्ध प्राइवेट लोगों की भारी तैनाती की गई है। ये प्राइवेट व्यक्ति विभिन्न कार्यालयों और वन रेंज सेक्शनों में कार्यरत हैं और वहां अवैध तरीके से धन वसूली कर रहे हैं। यह वसूली स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की जानकारी में हो रही है, लेकिन इसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

ऐसा लगता है कि इन प्राइवेट लोगों को अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है, जो खुद इन अवैध गतिविधियों से लाभ उठा रहे हैं। इससे न केवल वन्य जीव संरक्षण का उद्देश्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि सरकार की छवि भी खराब हो रही है।

योगी सरकार की छवि को बदनाम करने की साजिश

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि इन अवैध गतिविधियों के पीछे एक साजिश है। सरकार को बदनाम करने के लिए कुछ अधिकारी और भ्रष्ट तत्व इस खेल को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह की गतिविधियां राज्य सरकार की “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” की नीति के खिलाफ हैं और सरकार की साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है।सरकार ने कई बार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है, लेकिन सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग के मामलों को देखकर लगता है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अधिकारी इस भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं, और इसी कारण से वन्य जीव प्रभाग का"अस्तित्व धीरे-धीरे खतरे में पड़ रहा है।

सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग का क्षेत्र राज्य के महत्वपूर्ण वन्य जीव अभयारण्यों में से एक है। यहां की जैव विविधता और वन्य जीव संपदा की सुरक्षा के लिए यह क्षेत्र एक प्रमुख भूमिका निभाता है। हालांकि, वर्तमान में यहां अवैध गतिविधियों और लकड़ी माफिया के कब्जे के कारण इसका संरक्षण कार्य बाधित हो रहा है।

वन विभाग के अधिकारी कागजों पर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं कि यह क्षेत्र वन्य जीव अभयारण्य के रूप में संरक्षित रहेगा। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है। लकड़ी माफिया और अवैध वसूली की वजह से वन्य जीवों और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है।

प्रशासन की नाक के नीचे हो रही यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन की आंखों के सामने यह अवैध वसूली और भ्रष्टाचार हो रहा है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत के कारण इस पर रोक लगाने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। अधिकारियों के संरक्षण में हो रही इन गतिविधियों ने लोगों का प्रशासन पर से विश्वास उठाने का काम किया है।सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग में फैले भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों ने सरकार और प्रशासन के सामने एक गंभीर चुनौती पेश की है। अगर इस पर जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई तो यह क्षेत्र अपनी महत्वपूर्ण स्थिति खो सकता है और सरकार की साख पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। योगी सरकार को चाहिए कि इस मामले में सख्त कदम उठाए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे जो इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जनता को भी इस मामले में सजग रहकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकि सोहगी बरवा वन्य जीव प्रभाग की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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