पूर्वांचल राज्य समाचार, महराजगंज
उपसंपादक ठाकुर सोनी व पूर्वी उ०प्र० ब्यूरो प्रभारी फणींद्र मिश्र
जनपद महराजगंज के नौतनवा क्षेत्र के सेमरहवा गांव को जोड़ने के लिए आज तक पुल नहीं बन सका। बीते चुनाव का लोगों ने बहिष्कार भी किया था, लेकिन आज तक मांग पूरी नहीं हुई। यहां के बच्चे नाव से नदी पार कर स्कूल जाते हैं। सबसे अधिक समस्या बरसात के समय में होती है। सामान्य दिनों में बांस बल्ली के पुल का सहारा रहता है।विदित रहे नौतनवा तहसील क्षेत्र का सेमरहवा गांव आजादी से लेकर आज तक आवागमन सुगम होने की राह देख रहा है। यहां गांव में जाने के लिए इस समय नाव ही एकमात्र सहारा है। नदी पार कर ही गांव में जाया जा सकता है। गांव के लोगों को कोई इमरजेंसी सेवा का लाभ नहीं मिल पाता। बच्चों को जान जोखिम में डाल नाव से नदी पार कर विद्यालय जाना मजबूरी है। बताते चले कि सेमरहवा गांव रोहिन और बघेला नदी के बीच में बसा हुआ है। यह गांव तीन तरफ से नदी और एक तरफ से जंगल से घिरा हुआ है। इस गांव की आबादी लगभग छह हजार है। यहां लगभग 2000 मतदाता हैं। सेमरहवा खास, बरतानी, चरैया और भठवा चार टोले हैं। यहां एक प्राथमिक विद्यालय तथा एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं।बरसात के मौसम में गांव में जाने के लिए एक मात्र सहारा नाव ही है। लोगों को गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर पैदल चलकर कुंअहवा घाट तक आना पड़ता है। वहां से नाव से नदी पार कर धोतिअहवा गांव के चखनी चौराहे पर आना पड़ता है तब जाकर पिच मार्ग मिलता है।
समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया
_________________________
ग्राम प्रधान उपेंद्र यादव ने बताया कि जब नदी में बाढ़ आ जाती है तो गांव में जाने के लिए नाव से ही नदी पार किया जाता है। गांव के बच्चे हाईस्कूल, इंटर व उच्च शिक्षा के अड्डा बाजार, नौतनवां व अन्य कस्बों, नगरों में पढ़ने के लिए जाते हैं। नाव से नदी पार करते समय हमेशा भय बना रहता है। उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को समस्या के बारे में बताया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
नाव से नदी पार करने में लगता डर
______________
नाव के सहारे नदी पार कर विद्यालय जाते छात्र अंश कुमार, गोलू साहनी, शहजाद खान, फैसल खान, नीरज यादव, राजन वरूण, साजन वरुण, आलोक यादव, वीरेन्द्र यादव, सुजीत, मोनू, हीना, सीमा, अंकिता, खुशबू, सरिता आदि ने बताया कि नाव से नदी पार करने में डर लगता है। नाविक धर्मराज ने बताया कि बरसात के मौसम में बाढ़ आने के बाद गांव के लोग अपनी बाइक नदी पार कुंअहवा घाट पर ही छोड़ देते हैं।
0 Comments