अपनों को जैसे तैसे कॉल की तब मिली,मदद, यूपी पुलिस , सीएम योगी की कर रही सराहना
राजीव शंकर चतुर्वेदी
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
बलिया। पूरे देश में रेलवे विभाग यात्रियों को हर संभव सुविधा बढ़ाने में चूक नहीं कर रहा। फिर अव्यवस्था दिखाई दे रही है। बलिया के सहतवार नगर निवासी रिंकी रविकांत की गाथा सुनकर शायद हर कोई चकित हो जायेगा। कोटा (राजस्थान ) से डॉ रिंकी अपने बेटा को लेकर लखनऊ के लिए प्रस्थान तो कर गईं। तमाम दिक्कतों को झेलते हुए जैसे तैसे लखनऊ पहुंच पहुंच गईं। वापसी में पर्स ही चोरी हो गया। उसके बाद की घटनाओं को फेसबुक पर पोस्ट कर रिंकी ने रेलवे विभाग की शिकायत तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पुलिस की प्रशंसा की है। बताते चले कि बलिया के सहतवार निवासी रिंकी वर्तमान पता कोटा ( राजस्थान) में रहते हुए लगातार संघर्ष कर रही हैं। ताकि कोई अच्छी नौकरी लग जाय। रिंकी ने आप हाल ही में कोटा से लखनऊ कार्यक्रम में आई थीं। जिन्होंने अपना दर्द फेसबुक पर पोस्ट किया है। फेसबुक पर पोस्ट में जिक्र है कि लखनऊ से वापसी के दौरान लगभग पौने चार बजे का समय था अचानक से नींद खुली और मेरा दिल धक् कर के रह गया। जिस पर्स से मैं जी जान से प्यार करती, थी वो गायब था। लगभग एक बजे तो मैं सोई ही थी । इसके पूर्व अंतिम बार 12:35 रात्रि तक तो सीमा राय दीदी और मैंने बात ही की थी।
रिंकी बताती हैं कि मैं ट्रेन में आराम से ऊपर कुछ खाने-पीने की चीजे एक खादी के बैग में लेकर चढ़ गई । यात्रा आरामदायक तो नहीं थी क्योंकि पूरी ट्रेन में कचरे का अम्बार था । गन्दगी ऐसी की बयाँ करना मुश्किल । हाथ धोने के बेसिन के नीचे का कूड़ेदान भर के खुल गया था उसे बंद करने वाला कोई नहीं, अंदर शौचालय में अत्यंत गंदगी, हाथ धोने का लिक्विड सॉप बोतल से नदारद,अव्यवस्थाओं को गिनाना मुश्किल रहा। ।
इस पूरे वाकये में मुझे रेलवे की भूमिका बिलकुल पसंद नहीं आई। एक महिला यात्री जो अकेले यात्रा कर रही है, क्या उसके सुरक्षा की जिम्मेदारी आपकी नहीं है? एक महिला यात्री जो अकेले अपने बच्चे को लेकर यात्रा कर रही है, उन दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आपकी नहीं है? अपनी सहूलियत और सुरक्षा के लिए व्यक्ति एसी. कोच में यात्रा करते हैं, क्या अब एसी सुरक्षित है? कोच अटेंडेंट सो रहा था, क्या उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं? शिकायत रजिस्टर माँगने पर उसने मना कर दिया, व्यवहार भी सही नहीं था। इन तमाम घटनाओं को देखते हुए रेलवे के कर्मचारियों तथा व्यवस्था पर सवाल उठता है।
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