222 एमबीबीएस डॉक्टर की जगह 122 की तैनाती सीएचसी और पीएचसी पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव
राजीव शंकर चतुर्वेदी
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो
बलिया। जिले के क्षय रोग विभाग, सामुदायिक, प्राथमिक और न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों का जबरदस्त अभाव है। इस हालात में सरकार द्वारा आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुलभ कराने का दावा फेल होता दिख रहा है। डॉक्टरों की कमी के चलते लोग निजी डॉक्टरों व नर्सिंग होमों में उपचार कराने को लाचार हैं। यहां पैसा खर्च करने के बाद बेहतर उपचार नहीं मिल रहा है। जिला अस्पताल को छोड़ जनपद में 222 एमबीबीएस डॉक्टरों के पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष मात्र 122 की ही तैनाती है। इनमें से भी एक दर्जन डॉक्टर पीजी करने के लिए लीव पर हैं। स्वास्थ्य विभाग की आंकड़ों में 17 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 79 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा न्यू पीएचसी और उपकेंद्र मिलाकर कुल 160 अस्पताल हैं। इसमें 53 ऐसे अस्पताल हैं, जहां स्थायी एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनात नहीं हैं। ये अस्पताल चिकित्सक विहीन हैं। इसमें कुछ अस्पतालों पर आसपास तैनात डॉक्टरों को सप्ताह में एक या दो दिन बैठने की व्यवस्था की गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञों की बेहद कमी है। साथ ही एक्सरे और पैथॉलॉजी जांच की व्यवस्था नदारद है। सदर तहसील के पांच ब्लॉकों में सामुदायिक समेत प्राथमिक व न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 43 हैं। इसमें 15 पर डॉक्टर नहीं हैं। इसी तरह बिल्थरारोड तहसील में सीएचसी समेत 23 अस्पताल हैं, इसमें छह पर स्थायी डॉक्टरों की तैनाती नहीं है। रसड़ा तहसील में सीएचसी समेत 14 अस्पताल हैं, जिसमें सात करीब एक साल से चिकित्सक विहीन हैं। सिकंदरपुर तहसील में सामुदायिक समेत 20 अस्पताल हैं, जिसमें छह पर महीनों से एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं। बांसडीह तहसील में सीएचसी समेत 35 अस्पताल हैं। इसमें 13 पर डॉक्टर की तैनाती नहीं हैं। वहीं बैरिया तहसील में सीएचसी समेत 20 अस्पताल हैं। इसमें पांच अस्पताल चिकित्सक विहीन हैं।
इनसेट
इस संबंध में मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ. विजयपति द्विवेदी ने बताया कि डॉक्टरों के रिक्त पदों के सम्बंध में लिखित रूप से शासन को पत्र भेज दिया गया है। जल्द ही आयोग से डॉक्टरों की नियुक्ति होने की उम्मीद है।
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