पूर्वांचल राज्य ब्यूरो सिद्धार्थनगर नूरुल खाँ
तीन नदियों के जलस्तर को पार करने के बाद से जिले के 150 गांव संकट में फंस गये हैं। इनमें राप्ती नदी के प्रभाव क्षेत्र में आने वाले डुमरियागंज तहसील के ग्राम नेबुआ, रमवापुर, खुरपहवा, पेड़री मुस्तहकम बुढ़िया टायर, बीरपुर कोहल, बगहवा, बडहरा सोनखर, पिकौरा, धनोहरी, मन्नीजोत, आदि कई दर्जन गांवों की बुरी हालत है। राप्ती की बाढ़ से शाहपुर सिंगारजोत मार्ग मार्ग पर कई स्थाना पर 2 से 4 फीट पानी चल रहा है। ग्राम नेबुआ निवासी दीपक ने बताया कि पक्की सड़क के समाने बने उनके मकान में लगा हैंडपाइप डूब गया है। पूरे गांव में पानी घुसा है। उनका परिवार अन्यत्र शरण लिये हुए है। इसी प्रकार ग्राम खुरपहवा निवासी लड्डू ने बताया कि पानी सड़क पार कर गांव के घरों में घुसने लगा है। कई परिवारों ने घर खाली कर दिया है। सड़कें पानी में डूबी हुई हैं। सिर्फ एक नाव है। वह भी गांव से बाहर दिन भर में मात्र दो चक्कर लगा पाती है। पास के सिरसिया पावर हाऊस में पानी घुस गया है। राप्ती की बाढ़ से तहसील मुख्यालय डुमरियागंज का रोडबेज स्टेशन में पानी आ गया है तथा नगर पंचायत के बाहरी क्षेत्रों में पानी पहुंचने लगा है। इससे पूरे कस्बे में भय का माहौल है। इसके अलावा पेड़ारी मुस्तहकम, व मछिया की भी हालत गंभीर है।
बताते हैं कि नौगढ़ तहसील के देवलहा ग्रांन्ट,चनरैया, भलूहा ताल नटवा, ताल बगहियां, ताल भिरौना, मारूखर, आदि एक दर्जन गांव पानी से घिर गये हैं जबकि बूढ़ी राप्ती की बाढ़ से शोहरतगढ़ तहसील के मझवन, भुतहिया, खैरी शीतल, झुंगहवा, अमहवा, नदविलया बभनी, आदि गांव संकट में घिरे हैं।
जानकार बताते हैं कि यदि नदियों का जलस्तर थोड़ा और बढ़ा तो ऐसे लगभग सौ नये गांवों पर पर संकट बढ़ सकता है। फिलहाल प्रशासन नदियों कि स्थति पर गहरी नजर रखे हुए है। जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर ने जिले के सभी उपजिलाधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों की सुरक्षा और उन्हें उनके लिए हर संभव मदद का निर्देंश दिया है। जिलाधिकारी स्वयं स्वयं भी बाढ़गस्त क्षेत्रों को दौरा कर हालाता का जायजा ले रहे है।
राहत बचााव की मांग
तीन तीन नदियों के डैंजर लेबिल पार कर जाने के कारण जिले में राहत और बचाव की जरूरत महसूस हो रही है। इस वक्त ग्रामीणों की सर्वाधिक आवश्यकता नावों की है। वर्तमान में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मा़त्र दो टीमें तैनात है। जिन पीड़ित गांवों के पास अपनी निजी नावें हैं वे तो किसी प्रकार अपना काम चला रहे हैं। मगर अधिकाशं गांव नावों के बिना पानी के कैदी बने बैठे हैं। इसके अतिरिक्त सैलाब के प्रारम्भ्िाक चरण में मैरूंड गांवों में अब खाने की कमी पड़ने लगी है। मगर प्रशासन ने राहत वितरण अभी शुरू नहीं किया है।
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