वाराणसी पूर्वांचल राज्य ब्यूरो अभिषेक दुबे की रिपोर्ट
वाराणसी /भदोही/बनारस : सुबह- सुबह ऑफिस के लिए या किसी काम के लिए घर से निकलिए और कोई बड़ा हादसा हो जाए तो फिर खुद की और परिवार की स्थिति का अंदाजा लगाईए। जी हाँ, यही हाल है मिर्जापुर में शास्त्री पुल का, जहां पुल अपने जर्जर अवस्था के कारण बड़े हादसे को दावत दे रहा है। यह डराने की बात नहीं, सावधानी बरतने की बात है। इसमें कोई संदेह नहीं है की यह पुल 50 सालों से अधिक लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है। जनपद मिर्जापुर में सबसे महत्वपूर्ण यह शास्त्री पुल जौनपुर, बनारस, भदोही, गोपीगंज, इलाहाबाद, सोनभद्र और बनारस आदि जाने के लिए लोगों के लिए मुख्य रास्ता के रूप में प्रचलित रहा है। परंतु लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या ने पुल को कमजोर और जर्जर बना दिया है। यह पुल हर जगह से टूट रहा है।
अभी हाल ही में पुल के किनारे का हिस्सा टूट गया है जिसके कारण पुलिस को पुल पर आवाजाही रोकनी पड़ी तथा फिर स्थानीय लोगों की मांग पर आंशिक रूप से खोला गया। गंगा नदी पर यह पुल कभी भी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है। समय रहते जिला प्रशासन को इस पुल से वाहनों के आवाजही पर रोक लगाने से स्थिति को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
अब ऐसे जर्जर हो चुके पुल पर यदि आप चल रहे हैं और अचानक कोई बड़ा हादसा हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा? नगर प्रशासन को तत्काल इस पुल पर वाहनों के आवाजाही को रोक लगाकर दूसरे विकल्प पर ध्यान देना चाहिए। वाहन को एनएच-2 (अभी इसका नाम राष्ट्रीय राजमार्ग 19 यानी NH19 है) की ओर आवाजाही के लिए मोड़ा जा सकता है जिससे शास्त्री पुल पर दबाव कम होगा तथा पैदल चलने वालों को आसानी होगी। अक्सर देखा जाता है की पुल पर जाम की समस्या आती है और दो पहिया वाहन वाले फुटपाथ पर गाड़ी चलाने लगते हैं जिससे पैदल राहगीरों को परेशानी होती है। यदि वाहनों के आवाजाही को रोकते हैं तो पैदल यात्रियों को सुविधा होगी तथा बड़े हादसे से बचा जा सकता है।
वर्तमान सरकार सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दे रही है और सड़क तथा पुलों का जाल बिछाया जा रहा है जिससे कनेक्टिविटी आसान बन सके और क्षेत्र का आर्थिक विकास भी हो सके। कोई भी पुल या सड़क बेहतर रख रखाव से सुरक्षित तथा दीर्घायु होती है। परंतु जब यह पुल बना और आज की स्थिति में बहुत परिवर्तन हुआ है। लगातार ओवरलोडिंग के कारण शास्त्री पुल एक खतरनाक अवस्था में आ गया है।
ओवरलोडिंग के कारण इस पुल और मानव जीवन दोनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौतियां पैदा हो गई हैं। यह पुल 1976 में बना था। करीब 50 वर्षों की उम्र वाले इस पुल की अब तक तीन बार मरम्मत हो चुकी है। अब इस पुल के आयु को बढ़ाने के लिए वाहनों का आवागमन रोकना अतिआवश्यक हो गया है, जब पुल पर लोड कम होगा तो पुल की मियाद बढ़ जाएगी और यह पुल कुछ दिन और पैदल यात्रियों के आवाजाही का माध्यम बना रहेगा।
सरकार ने हाल ही में बढ़ती यातायात जरूरतों को ध्यान में रखकर सिक्स-लेन पुल और बाईपास के निर्माण को मंजूरी दी है। फिर भी वाहनों की अनियंत्रित ओवरलोडिंग के कारण आज यह पुल जर्जर अवस्था में है। बड़े बड़े गड्ढे आए दिन हादसे का कारण बनते हैं। छात्रों के स्कूल और परीक्षा में देरी, अन्य प्रतियोगी परीक्षा में छात्र पुल के जाम में फंसे रह जाते हैं। आस पास के लोगों का भी यह मानना है की यह पुल किसी भी दिन बड़े हादसे का गवाह बनेगा और स्थानीय प्रशासन दोषारोपण करेगी। समय रहते इसके हल पर ध्यान देना चाहिए।
लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है, एनएच 19 जैसे वैकल्पिक मार्ग उन यात्रियों के लिए एक ऐसा विकल्प साबित हो सकता है, जो जर्जर शास्त्री पुल से बचना चाहते हैं ताकि स्वयं उनकी और उनके प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
0 Comments