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एक मुस्लिम न्यायाधीश ने कहा था कि, “सर, आप एक दिव्य आत्मा हैं”



(प्रधान संपादक कृष्णा पंडित की कलम से)



गुरु एक पवित्र आत्मा है जिसके माध्यम से पुण्य का प्रकाश समाज और दैनिक दिनचर्या से होते हुए व्यक्ति के पूर्ण जीवन को प्रभावित करता है !वही पुण्य आत्मा जिसकी प्रकाश से परिवार को नया जीवन और समाज को नई दिशा मिलती है ! गुरुओं को हमेशा ईश्वर का दर्जा दिया गया जहां उज्जवल भविष्य का निर्माण जिनके सानिध्य में होता है!

संत समाज का वह आइना है जो इतिहास से लेकर सामाजिक व्यवस्था को शुद्ध संगति के साथ आध्यात्म की जीवन यात्रा में लोगों को अपने सद्गुण से प्रभावित कर प्रवेश कराता है यही नहीं सच्चे गुरु की प्राप्ति से व्यक्ति मोह माया से दूर एक नए जीवन में प्रवेश मिल जाता है ! यदि सच्चे गुरु का आशीर्वाद और अनुकंपा हो जाए तो यह मानव जीवन सफल हो जाता है ऐसे एक महान संत जिनके बारे में आज आप लोगों में विशेष साक्षात्कार का अंश प्रस्तुत है!

उन्हें नेत्रहीन क्यों कहा जाता है...? 

आज 75 वर्ष के हो चुके महान गुरुदेव जन्म से अंधे हैं। स्कूल में हर कक्षा में उन्हें 99% से कम अंक नहीं मिले। उन्होंने 230 किताबें लिखी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि श्री राम जन्मभूमि मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में 441 साक्ष्य देकर यह साबित किया कि भगवान श्री राम का जन्म यहीं हुआ था। 

उनके द्वारा दिये गये 441 साक्ष्यों में से 437 को न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। उस दिव्य पुरुष का नाम है जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य। 300 वकीलों से भरी अदालत में विरोधी वकील ने गुरुदेव को चुप कराने और बेचैन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनसे पूछा गया था कि क्या रामचरित मानस में रामजन्मभूमि का कोई जिक्र है? 

तब गुरुदेव श्री रामभद्राचार्यजी ने संत तुलसीदास की चौपाई सुनाई जिसमें श्री रामजन्मभूमि का उल्लेख है। इसके बाद वकील ने पूछा कि वेदों में क्या प्रमाण है कि श्रीराम का जन्म यहीं हुआ था? जवाब में श्री रामभद्राचार्यजी ने कहा कि इसका प्रमाण अथर्ववेद के दूसरे मंत्र दशम कांड के 31वें अनुवाद में मिलता है। यह सुनकर न्यायाधीश की पीठ ने, जो एक मुस्लिम न्यायाधीश था, कहा, “सर, आप एक दिव्य आत्मा हैं।” 

जब सोनिया गांधी ने अदालत में हलफनामा दायर किया कि राम का जन्म नहीं हुआ था, तो श्री रामभद्राचार्यजी ने तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा, "आपके गुरु ग्रंथ साहिब में राम का नाम 5600 बार उल्लेखित है।" ये सारी बातें श्री रामभद्राचार्यजी ने मशहूर टीवी चैनल के पत्रकार सुधीर चौधरी को दिए एक इंटरव्यू में बताई हैं। 

इस नेत्रविहीन संत महात्मा को इतनी सारी जानकारी कैसे हो गई, यह एक आम आदमी की समझ से परे है। वास्तव में वे कोई दैवीय शक्ति धारण करने वाले अवतार हैं। उन्हें नेत्रहीन कहना भी उचित नहीं है। क्योंकि एक बार प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि "मैं आपके दर्शन की व्यवस्था कर सकती हूं।" तब इस संत महात्मा ने उत्तर दिया, "मैं दुनिया नहीं देखना चाहता।" 

वह इंटरव्यू में आगे कहते हैं कि मैं अंधा नहीं हूं। मैंने अंधे होने की रियायत कभी नहीं ली। मैं भगवान श्री राम को बहुत करीब से देखता हूं।' ऐसी पवित्र, अद्भुत प्रतिक्रिया को नमन है, रामभक्त जय श्री राम।

ऐसे संतो की वजह से ही सनातन हमारी संस्कृति और अस्तित्व टिका हुआ है ऐसे कई संत हैं उनका हमेशा मान रखें!

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