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त्यौहार संस्कृति की जड़ें और समाज को जोड़ने वाला सेतु

 


पूर्वांचल राज्य ब्यूरो

महराजगंज /घुघली पल्टू मिश्रा

महराजगंज,त्यौहार हमारे जीवन में सिर्फ खुशी और उल्लास का ही नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव का प्रतीक भी होते हैं। भारत जैसे विविधता से भरे देश में हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई ऐतिहासिक, धार्मिक या सामाजिक महत्व छिपा होता है।

त्यौहारों को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को एक-दूसरे के करीब लाना, सामाजिक एकता को बढ़ावा देना और परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना होता है। चाहे वह दिवाली की रौशनी हो या ईद की मिठास, क्रिसमस की सजावट हो या होली के रंग – हर पर्व आपसी प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का संदेश देता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि त्यौहार मानसिक तनाव को कम करते हैं और जीवन में नई ऊर्जा भरते हैं। इसके साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है क्योंकि बाजारों में खरीदारी बढ़ती है।

त्यौहारों के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, पारंपरिक व्यंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम न केवल आनंद का कारण बनते हैं, बल्कि हमारी विरासत को जीवंत भी बनाए रखते हैं।

निष्कर्ष:त्यौहार केवल औपचारिक परंपरा नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना के जीवंत स्वरूप हैं। इन्हें मनाकर हम अपने मूल्यों, रिश्तों और विरासत को सम्मान देते हैं।

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