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होली: भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है


होली: भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है


होली: केवल बाहरी रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि भीतरी चेतना को भी रंगने का पर्व है


होली: समाज में भाईचारे, सौहार्द और प्रेम को बढ़ावा देता है यह पर्व


पूर्वांचल राज्य

 

*(ठाकुर सोनी /फणींद्र मिश्र)*


     सनातन धर्म की आस्था का प्रतीक महा पर्व होली एक ऐसा पर्व है जो भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है। यह न केवल रंगों और उल्लास का त्योहार है, बल्कि इसकी जड़ें गहरे धार्मिक और सामाजिक मूल्यों से जुड़ी हुई हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है, साथ ही सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक जागरण का भी प्रतीक है। होली का धार्मिक महत्व अत्यंत व्यापक है। इसकी पृष्ठभूमि में भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कथा आती है, जो यह दर्शाती है कि सत्य और भक्ति की शक्ति के आगे अहंकार और अधर्म टिक नहीं सकते। हिरण्यकश्यप, जो स्वयं को ईश्वर से भी श्रेष्ठ मानता था, अपने ही पुत्र प्रहलाद की भक्ति को समाप्त करना चाहता था। उसने अनेक उपाय किए, लेकिन प्रहलाद की निष्ठा को डिगा नहीं सका। अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठे, क्योंकि उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। लेकिन सत्य और भक्ति की शक्ति से होलिका स्वयं भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित रहे। यह घटना हमें यह सिखाती है कि अहंकार और अधर्म चाहे कितना भी सबल और प्रबल क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय अवश्य होती है। इसीलिए, होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है, जो नकारात्मकता के विनाश का प्रतीक है।

होली का एक और धार्मिक पक्ष भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम से जुड़ा हुआ है। कृष्ण, जो प्रेम और आनंद के प्रतीक हैं, ने राधा और गोपियों के साथ रंगों की होली खेली थी, जिससे यह त्योहार प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बन गया। वृंदावन और बरसाना की होली आज भी इसी परंपरा को जीवंत रखती है। श्रीकृष्ण का यह उत्सव हमें यह संदेश देता है कि प्रेम में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता, और यह आत्मा की गहराइयों से जुड़ने का माध्यम होता है। होली केवल बाहरी रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि भीतरी चेतना को भी रंगने का पर्व है।

आध्यात्मिक दृष्टि से होली का महत्व और भी गहरा है। 

   यह पर्व आत्मा की अशुद्धियों को जलाने और अंतर्मन को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करता है। होली हमें यह संदेश देती है कि जैसे रंग सभी को एक समान रूप से रंग देते हैं, वैसे ही हमें भी अपने अहंकार, भेदभाव और नकारात्मक विचारों को त्यागकर प्रेम, दया और करुणा के रंग में रंग जाना चाहिए। यह पर्व हमारे भीतर छिपे कटुता, ईर्ष्या और वैमनस्य को समाप्त कर भीतर से निर्मल होने का आह्वान करता है।

सामाजिक दृष्टि से होली का उत्सव बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व समाज में भाईचारे, सौहार्द और प्रेम को बढ़ावा देता है। होली के दिन लोग अपने पुराने वैर-भाव को भुलाकर गले मिलते हैं और एक नई शुरुआत करते हैं। यह पर्व समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। विभिन्न जातियों, समुदायों और वर्गों के लोग इस दिन एक साथ मिलकर उल्लास मनाते हैं, जिससे समाज में एकता और समरसता का वातावरण बनता है। यही कारण है कि होली को ‘सामाजिक एकता का पर्व’ भी कहा जाता है।

होली का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह वसंत ऋतु में मनाई जाती है, जो प्रकृति के नवजीवन और उल्लास का समय होता है। इस समय खेतों में फसलें पककर तैयार हो जाती हैं और किसान अपने परिश्रम के फल को देखकर आनंदित होते हैं। इस उत्सव में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी होती है, जिससे इसका आनंद और भी बढ़ जाता है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का संदेश भी देता है।

होली का त्योहार पारंपरिक लोकगीतों, नृत्य और संगीत से भी जुड़ा हुआ है। यह संस्कृति का जीवंत प्रतिबिंब है, जिसमें उत्सवधर्मिता और आनंद का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। फाग, चंग, ढोल, मंजीरे की ध्वनि वातावरण को उल्लासमय बना देती है और लोग नृत्य - संगीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। इस प्रकार, *होली केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का कार्य करता है।*

होली का एक विशेष सामाजिक संदेश यह भी है कि *इस पर्व में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष सभी एक साथ मिलकर इसे मनाते हैं। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हम सभी एक समान हैं और प्रेम तथा सौहार्द ही समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं। यदि हम होली के इस संदेश को अपने जीवन में उतारें, तो समाज में प्रेम और एकता की भावना और अधिक प्रबल हो सकती है।*

आज के समय में, जब समाज में तनाव, मतभेद और अलगाव की स्थिति बढ़ रही है, होली हमें यह याद दिलाती है कि प्रेम, सौहार्द और भाईचारे से बड़े से बड़े मतभेद मिटाए जा सकते हैं। यह पर्व हमें हंसी-खुशी और आनंद के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों को भूलने और नए सिरे से शुरुआत करने का अवसर देता है।

होली का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे विश्वभर में भारतीय समुदाय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। 

*इस पर्व की लोकप्रियता इसका प्रमाण है कि यह मानवता के मूलभूत मूल्यों – प्रेम, आनंद, सौहार्द और एकता – को बढ़ावा देता है।*

इस पर्व का सार यही है कि हम अपने जीवन में प्रेम, सहयोग और सद्भाव को बढ़ावा दें। भले ही हम होली के दिन बाहरी रंगों से सराबोर हो जाते हैं, लेकिन *असली होली तब होगी जब हम अपने अंतर्मन को भी प्रेम और सौहार्द के रंग में रंग लें।* यही इस पावन पर्व का सच्चा संदेश है – *‘रंग लो आत्मा को प्रेम और भक्ति के रंग में, जलाओ भीतर की बुराइयों को और उत्सव मनाओ सच्चे हृदय से।’*

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