कृष्णा पंडित की ✍🏻 कलम से
भारत एक ऐसा नाम जहां सृष्टि की रचना से लेकर जीवन का सार इतिहास के साथ अपने कृति से जुड़ा हुआ है ! जहां अनेकानेक महान वीरों की गाथाएं सुनकर मन में उमंग और पौरूष बल के साथ इतिहास के सुनहरे पन्नों को दोहराने का सुअवसर मिलता है ! जहां वीर रस की कविताएं व्यक्ति के जीवन के सार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है वही वृहद संजीदा सर्वमान्य सुलभ और सहज सरल संस्कृति जो सबको अपनी तरफ आकर्षित करता है जहां वेशभूषा रहन-सहन खान-पान दूसरे देशों के रहने वाले लोगों के लिए आज उदाहरण बन चुका है !,
पश्चिमी देशों में रहने वाले लोग आज हमारी संस्कृति को बहुत ही सहज रूप से अपना रहे हैं और नए नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं ! यहां श्रीराम और कृष्ण की अद्भुत अनोखी कहानियां घर घर में प्रचलित हैं जिस देश में भाषाएं अनेक, खानपान अलग-अलग लेकिन पर्व त्योहार और आस्था के देवता एक हैं जहां मानव अपनी जीवन की कलाओं में पूर्णता के लिए नित्य प्रतिदिन जिंदगी की सच्चाई से रूबरू होता है !
समय के साथ बदलाव
21वीं शताब्दी में यह कह सकते हैं की व्यक्ति खुद की आजादी और अधिकार के लिए अपने संविधान के प्रति जागरूकता और शैक्षिक विकास के साथ गतिशील है जहां दबे, कुचले लोग जिनकी आवाज लोगों तक नहीं पहुंच पाती थी जहां सामाजिक रुतबा किसी गरीब को कुचलने के लिए पर्याप्त होता था आज वह धीरे धीरे समाप्ति की ओर है ! हमारे देश में आजादी के बाद लोग तकनीकी रूप से बहुत ही कम जानकार थे लेकिन जैसे कंप्यूटर युग और सोशल मीडिया का समय आया उसके बाद लोगों में खुलकर अधिकार व अत्याचार के विरोध आवाज बुलंद करने की नई तस्वीर विकसित हुई है जो शायद बदलता हिंदुस्तान और बोलता भारत का उदाहरण है !
मेहनत कम उम्मीद ज्यादा
गिरती इंसानियत मरता वजूद
सुनने में अटपटा जरूर लग रहा होगा लेकिन आज भी भाग दौड़ के इस महा जंजाल में आदमी उलझ कर रह गया है जहां भारत अपनी तरक्की को लेकर नई ऊंचाइयां और नई ताकत के साथ दूसरे देशों के लिए चुनौती बन खड़ा है ! वही अपने ही देश में अपने ही लोगों के द्वारा कूटनीति के साथ छला जा रहा है !
घर घर में भ्रष्टाचार कैसे रोकेगी सरकार
देश में सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार रोकना है क्योंकि यह घर घर में अपना पांव पसार चुका है लोगों की विरासत बन चुकी है ! बदलाव के साथ लोग खुद सुधारने को तैयार नहीं कोई भी सरकार हो लेकिन सरकारी अमला और कर्मचारी बिना भ्रष्टाचार अपने पद को सम्मान नहीं दे पा रहे हैं जिसके कारण भारत के बदलते रुतबे के साथ भी लूट व घूसखोरी कमजोरी के साथ आंतरिक भ्रष्टाचार रूपी लड़ाई से रोज मुंह बाए खड़ा है! बड़े-बड़े नेता बड़ी-बड़ी बातों के साथ वादे के लिए जाने जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत और कार्य का अवलोकन उनका भी मजाक उड़ाने के लिए पर्याप्त है !
झूठ बोलने की कला के साथ नई कूटनीति और परंपरागत चली आ रही बेईमानी नेताओं की कहानी के साथ सरकारी अमला ने बखूबी समझ कर धारण कर लिया है! चाहे आर्थिक रूप से या व्यवहारिक या कानून व्यवस्था का माखौल उड़ाते देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं ! जहां अफसरशाही और सत्ता के लिए लालसा युवाओं में फुट के साथ भटकाव उत्पन्न कर रही है वही बिना मेहनत ही सब कुछ पाने की होड़ लगी है ! कहते हैं इस देश में न्यायाधीश से लेकर चपरासी तक लगभग सब बिकाऊ है बस खरीदार होना चाहिए ! अपने आप में चौथा स्तंभ कहे जाने वाला मीडिया भी आज दिवालियापन का शिकार है जहां शब्द भी खरीद कर अखबार की सुर्खी बनते हैं, सच की तस्वीर और तकदीर विपरार्थ का सूचक बन प्रतिदिन सच की कसौटी पर उतरने को तैयार है !
अब तो कलम भी गिने-चुने शब्दों में ही अपनी पूरी परिधि बनाकर सामाजिक तस्वीर उघेरती है, जहां कलमकार सौदों की जद में हैं फिर भी भारत बदल रहा है और इसके लोग बदल रहे हैं !!
हम तो ऐसे ही हैं मुद्दा कोई भी हो हम उसको कलम की आवाज बनाते हैं !
✍🏻.. फिर कभी किसी मुद्दे पर कृष्णा पंडित के साथ🙏🏻
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