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सस्ते कॉस्मेटिक सामानों की सीमावर्ती क्षेत्रों से धड़ल्ले से हो रही तस्करी

 

 साइकिल,रिक्शे व ठेले पर रखकर सीमावर्ती क्षेत्रों में फेरी लगाकर तस्कर बेचते हैं नेपाल के बने उत्पाद




पूर्वांचल राज्य ब्यूरो,महाराजगंज 

महाराजगंज

उपसंपादक ठाकुर सोनी,अरुण वर्मा,ब्यूरो चीफ फणींद्र कुमार मिश्र व जिला संवाददाता अनिल जायसवाल की संयुक्त विशेष रिपोर्ट

भारत के पड़ोसी देश नेपाल से सस्ता कॉस्मेटिक सामान तस्कर अब धड़ल्ले से भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में पहुंचा रहे हैं। सीमा शुल्क में चोरी कर ये तस्कर न सिर्फ कस्टम विभाग को चूना लगा रहे बल्कि अपनी जेब भी भर रहे हैं। लाखों के कॉस्मेटिक का सामान लेकर तस्कर आसानी से सरहद पार कर देते हैं। ठेले और साइकिल पर रखकर सीमावर्ती क्षेत्र में फेरी लगाकर बेचते हैं। दुकानों पर भी  नेपाल से आया कॉस्मेटिक सामान आसानी से मिल जाता है।

सूत्र बताते हैं कि कास्मेटिक सामान नेपाल की ओर से सुंडी घाट, हरदीडाली, रजिया घाट, बैरिहवा, मुड़िला, चंडीथान, खैराघाट, कुरहवा घाट, जोगियाबारी, भगवानपुर, सेवतरी, खनुआ से होकर आता है। प्रत्येक सामान में औसतन 15 से 20 रुपये का मुनाफा होता है। हमेशा प्रयोग होने वाले सामान को ज्यादातर दुकानदार थोड़ा-थोड़ा कर कई बार भारतीय सीमा में लाकर दुकानों पर बेचते हैं। बताया जाता है कि जो क्रीम नेपाल में 30 से 35 रुपये में मिलता है, वह भारतीय क्षेत्र में आने से 50 से 55 रुपये में बिकता है। अन्य सामानों की भी कमोवेश यही स्थिति है।

तस्कर जहां बिना सीमा शुल्क जमा किए नेपाल से सामान लाकर भारतीय सीमा में बेच देते हैं तो वहीं दुकानदार नेपाली मुद्रा में अंकित मूल्य यहां भारतीय मुद्रा में वसूलते हैं। नेल पाॅलिस,क्रीम, पाउडर व पेस्ट सहित अन्य सामान आसानी से सरहद पार किए जा रहे हैं। यह सामान कभी कभार ही बरामद होता है। सूत्र बताते हैं कि नेपाल से कास्मेटिक सामान लाकर सीमावर्ती क्षेत्र में फेरी वाले बेचते हैं। सस्ते में नेपाल से सामान लाकर आराम से महंगे दाम पर बेचते हैं। सूत्रों की माने तो खुली सीमा होने के कारण नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में तस्करी कुटीर उद्योग का रूप ले चुकी है।

इसके अलावा यहां नकली सामानों की आसानी से खपत हो जाती है। असली जैसे दिखने वाले तमाम शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन, मसाला, पाउडर व सौंदर्य प्रशासन के तमाम ब्रांड के क्रीम यहां उपलब्ध हैं। इनके डिब्बों पर जहां मूल्य तो ब्रांडेड कंपनियों का लिखा होता है लेकिन अक्सर इनके नकली होने की आशंका बनी रहती है।

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इन रास्तों से आते-जाते हैं तस्कर

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सीमावर्ती क्षेत्र में लगभग एक दर्जन ऐसे रास्ते हैं जहां से कास्मेटिक सामानों की तस्करी होती है। सामान्य तौर पर दिन में नेपाल के बाजारों से आने वाली महिलाएं होती हैं। यह तस्करों के लिए कैरियर के रूप में काम करती हैं। खरीदारी करने के बाद उसे गंतव्य तक पहुंचा देती हैं। तस्करी के रास्तों में नौतनवां थाना क्षेत्र के संपतिहां, छपवा,सुंडी, खनुवा, हरदी डाली, कैथवलिया, बरगदही, फ़रेनिया, श्याम काट, भगवानपुर और सोनौली का दो नंबर की गली है।


क्या कहना है अपर पुलिस अधीक्षक का

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सीमावर्ती क्षेत्र में पुलिस निगरानी में लगातार जुटी रहती है। तस्करी पर अंकुश लगाने का तेजी से प्रयास किया जा रहा है। सामान बरामद कर कस्टम को सौंप दिया जाता है।

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